Gulshan Kumar Singh   (Kavi G.)
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An Engineer, active Social worker and a passionate poet/writer.
Joined 30 December 2017


An Engineer, active Social worker and a passionate poet/writer.
Joined 30 December 2017
2 APR AT 17:11

मेरे क़िस्सों में तेरे सिवा कुछ भी नहीं,
तेरे क़िस्सों में मेरा ज़िक्र कुछ भी नहीं
तेरे नसीब में हो मेरी भी नसीबें,
मेरे नसीब में चाहिये मुझे कुछ भी नहीं

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16 MAR AT 20:17

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4 MAR AT 5:09

आपके प्रेम के काबिल हूँ, इसका कोई दावा नहीं करता,
पर मैं शीशे की तरह साफ हूँ, कोई छलावा नहीं करता ।

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3 DEC 2023 AT 17:58

तुम BJP की तरह मोहब्बत करके तो देखो
हम Congress सा डूब ना जाएँ तो कहना ।

#Politicalsatire

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6 NOV 2023 AT 23:37

सालों से ख़ुद को आम समझ बैठा था मैं
किसी की एक दस्तक ने मुझको कुछ ख़ास बना दिया
मुझे बताया गया था शुरुआत से पूर्ण हूँ मैं
किसी की मौजूदगी ने उस पूर्णता का आभास करा दिया

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12 OCT 2023 AT 1:03

शहर के शोर शराबे के बीच तन्हाई के एक घर में रहता हूँ ,
घुलता-मिलता मैं सब से हूँ, पर ख़ुद की तालाश करता हूँ |

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9 OCT 2023 AT 21:00

तोहफ़ों की ख्वाहिश नहीं मुझे, देना ही चाहते हो तो ये बरकत दे दो
तुम पर लिखने की तमन्ना है मेरी, तुम बस इतनी सी इजाज़त दे दो

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25 SEP 2023 AT 1:27

गुल-ए-गुलशन की हालत पे क्या कहा जाए,
तबाही का ये मंजर कैसे बयाँ किया जाए ।
जिन बादलों से थी हमें बारिश की उम्मीद,
वो तेज़ाब बरसा जाएँ तो क्या किया जाए ।

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29 AUG 2023 AT 20:23

कह नहीं पाये कभी पर आज ये कहना चाहते हैं,
जो हम तुम्हें चाहते हैं, तुमसे कुछ नहीं चाहते हैं ।

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13 AUG 2023 AT 13:26

पथ है अपना बेमेल प्रिय,
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।

मैं पासान जैसा कठोर,
तुम कोमल कंचन काया हो ।
मैं महादेव सा वैरागी,
तुम तो साक्षात माया हो ।

तुम चंचल, बातुनी और हंसमुख
मैं स्थिर ,मौन ,गंभीर प्रिय ।
हैं सागर के हम दो छोर प्रिय,
मुश्किल रहना एक ओर प्रिय ।

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