Gulshan kumar  
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मंज़िल मिलेगी या मुसाफ़िर बन जाऊंगा।
Joined 3 December 2017


मंज़िल मिलेगी या मुसाफ़िर बन जाऊंगा।
Joined 3 December 2017
28 MAR 2021 AT 9:01

रंग बदलने वालों से दूर रहो।

हैप्पी होली।

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26 JAN 2018 AT 23:49

तु हैं भी हकीकत ?
या बस मेरा हीं ख्याल हैं।
-आजादी

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19 DEC 2017 AT 22:05

बिछड़ते वक्त मेरे गलतीयो को गिनाये कुछ लोगों ने ... सोच रहा हूं जब मिला था तब कौन सा हुनर था मुझ में...

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18 DEC 2017 AT 2:32

कोई तो सुनेगा हाल-ए-दिल मेरा।

सब नफरत थोड़े ना करते हैं।

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16 DEC 2017 AT 17:49

क्या सारी परेशानीयों का हल
'बिछड़ जाना' है?

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8 DEC 2017 AT 10:26

कौन कहता है अकेले कट रही है जिंदगी ।
ख्वाब, ख्याल, हकीकत, गम, धोखा और तन्हाई सब तो है साथ साथ।

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8 DEC 2017 AT 1:49

काश... उलझनें भी साथ छोड़ जाए।

अकेले रहना चाहते है हम...।

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8 DEC 2017 AT 1:34

जिसे देखो धोखे की बात करता है।
सच में इतनी सारी मोहब्बते,
सच्चाई थी सब ?

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7 DEC 2017 AT 0:39

मुस्कुरा के कत्ल करना कोई उनसे सिखे।
खंज़र की जरुरत नही उन्हे।

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4 DEC 2017 AT 14:03

मै उस किताब का आखिरी पेज था।
शायद खत्म ना होती वो कहानी,
अगर मैं ना होता।
-गुलशन

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