Gulshan Kumar  
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जब ग़मज़दा हो मुंतशिर हो ख्वाब मंज़िल का, उठाओ माज़गा फिर मुस्कुराओ गुलशन बन जाओ।
Joined 8 January 2019


जब ग़मज़दा हो मुंतशिर हो ख्वाब मंज़िल का, उठाओ माज़गा फिर मुस्कुराओ गुलशन बन जाओ।
Joined 8 January 2019
8 MAR 2022 AT 20:56

Women's Day Special
She wears her smiles like sadness was never her friend
She makes the passion even more passionate
She gives the hope to the people who are hopeless
She carries her grace like happiness never left her address
She loves like radha and portray sita like loyalty
She is the living adobe of virtues and morality
She even treats and feeds the speechless
She is gentler than the dove itself
She is very sentimental, she is very child-like
She makes people believe that goodness is still alive
She has healed people from her talks
She is kinder than kindness of the Gods
Whatever she does, she does perfectly
Even the impatient creatures listen her patiently
She cares, she loves, she lives and she inspires
She is a woman with attitude and a lady with a class


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10 JUL 2021 AT 20:28

अम्मा मैं ना इस ज़िंदगी के हर सवाल का जवाब लिखूंगा,
जब जब याद आएगी आपकी कॉल कर आपका हालचाल पूछुंगा।

उदासी को बहला फुसला कर उनको कहीं दूर भेजूंगा, खुशियों को और खुशी देकर उनको अपने घर में रख लूंगा।

आपकी बातें मेरे लिए मिसाल हैं,
आपका जीवन मेरे लिए वरदान,
आपकी ममता मेरा विधाता,
आपका स्वभाव मेरी पहचान।

आपकी मुस्कुराहट से मुझको काफी हिम्मत मिलेगी,
आपके आशीर्वाद से ही सारी मुश्किलें हल होंगी।

आपकी दी हुई सीखों से मैं अपना रस्ता बनाऊंगा,
त्याग को आपके ऐसे मैं बेकार कहां होने दूंगा,
सब हार कर एक दिन मैं सबकुछ जीत जाऊंगा,
और जीतकर मैं दुनिया का बाज़ीगर कहलाऊंगा।

©Gulshan Kumar

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20 APR 2021 AT 10:45

उम्मीद है
एक सुबह की
जो खुशियों का दामन का छोड़े
उम्मीद है
एक शाम की
जो अस्पतालों में दम ना तोड़े

उम्मीद है
अंधेरी रातों में फिर से ठहाकों के गूंज की
नाचते गाते रास्तों पे जाते लोगों के झुंड की

उम्मीद है
फिर से लगाएंगे लोग गले
जब कोई होगा उदास
और मिलाएगा हाथ कोई
बिन सोंचे यूं एकबार

उम्मीद है

होकर निर्भिक पार्कों में,
फिर से बच्चे खेलेंगे,
ऑनलाइन वाली लाइफ से हमसब
बाहर निकल कर देखेंगे,

उम्मीद है

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29 MAR 2021 AT 8:16

रंग लगाओ, अबीर भी लाओ, भर दो रंग फ़िज़ायों में
दिल भी रंग दो और मन भी, लगा कर गुलाल गालों में

उनके चुनरी को रंग दो, रंग दो उनके आँचल को
रंग दो ये जहाँ सारा, रंग दो ग़मों के बादल को

भाई को रंग दो, भाभी को भी, जीजा जी भी न छूटे
एक नन्ही सी कली को रंग दो, ये पेड़, धड़ा भी ना रूठे

खुशी से रंग दो मकानों को भी, जहाँ अबतक रहते आए
और तोड़ दो उन दीवारों को भी, जो अपनों में अंतर लाए

और रंग दो अपने मेहनत को, जो रंगकर कोई लाए यूं रंग
माँ बाबा को अपने रंग दो, जिसने छोड़ा नहीं कभी तेरा संग।


Gulshan Kumar












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22 MAR 2021 AT 11:27

जब मिले अबीर गुलाल में
तो बन जाए होली का रंग
जब बरसे अम्बर से तो यह
लाए खुशियां अपने संग
पानी के है सौ रंग

जब डलता किसी ग्लास में
कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा के संग
तब बनने कई आयाम हैं
अपने अपने यारों से संग
पानी के हैं सौ रंग।

जब बूंद गिरे उस मिट्टी पर
बदले उसके मिज़ाज़ और रंग
जब बूंद बनकर आंखों में आए
दिखालाए कोई गम या उमंग।
पानी के है सौ रंग।

जब बनकर गिरे यह ओस,
तो कर दें फलसों को जीवंत
जब गिरे यह वाटर कैनन से
तो करता कितने आंदोलन भंग,
पानी के है सौ रंग।


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20 MAR 2021 AT 14:49


एक वरदान या अभिशाप, खुद की मेहनत या खैरात,
या है ये एक सफर जिसकी मंज़िल है बिल्कुल उलट,
किसी ने कहा है ये खुशबू, जिसको मिटा देना चाहे सब,
ज़िन्दगी क्या जीना है, या फिर है इक दिन मार जाना।

शायद हो एक किस्सा, जिसके अंत का किसी को नहीं पता,
कोई उलझन तो नहीं, जिसको इंसान समझ ना पाए,
या फिर हो यह निश्चल प्रेम, जिसे इंसान निभा ना पाए,
या फिर हो दया का नाम, जो किया जाए खुद की खातिर।

जो लोग नहीं समझते हैं बस वही जीए जाते हैं,
जिनको थोड़ी भी समझ हो तो, उनके लिए दुश्वार है जीना।







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19 MAR 2021 AT 19:57

कोई नहीं समझता
एहसासों की होती जुबां है,
चुप्पी भी करती है बातें,
आंखों में होती है स्याही,
जो सुनाए बहकर कहानी,
कोई नहीं समझता अब।

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18 MAR 2021 AT 18:13


मेरे मन की राहें सारी, अब जाती है बस तुम तक,
समझाया मैंने खुद को, पर नहीं समझता है ये मन,
अपने मन के आगे तुमने, इक पहरा लगा रखा है,
कैसे दूर करू उसको यूं, मैं 'तुम तक कैसे आऊँ?'

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17 MAR 2021 AT 19:00

पता है गुड़िया क्या हुआ उस दिन,
जिस दिन तुम इस जहाँ में आई,
प्यार हो गया तुमसे तभी मुझे तो,
होशियारी कोई काम ना आई।

इतना क्यूट कोई होता है भला,
कि ले जाए नींद और चैन,
अपने बाहों में तुम्हें लेने को,
मन हो रहा है बहोत बेचैन।

संग तुम्हारे अब मुझे तो,
यू ही हर वक़्त खेलना है,
और बनोगी तुम एकदम स्ट्रांग,
ये भी मुझे ही तो देखना है।

इन रश्मों रिवाज़ों को हराकर,
मैं तुम्हारा ढाल बन जाऊंगा,
जल जाएंगे ये जग वाले,
जब मैं दो बार माँ कहलाऊंगा।

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16 MAR 2021 AT 0:34

A little angel came into our life today and she is very cute.

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