जिंदगी के सफर में न जाने क्या क्या आएगा,
पर मजा तभी आ पाएगा,
जब मुस्कुराकर हर पल जिया जाएगा.......।।-
इक रोज़ ओझल हो जाऊंगा इन आंखों से,
जिन्हें गुमान है कि सब कुछ समा सकता है इनमें.....।-
हम Middle Class लड़के हैं, साहब!
अपने घर भी मेहमान बनकर आते हैं......।-
जब हवाएं रुख बदलती है ना, साहब!
तो बड़े-बड़े नाम भी मिट्टी में समाहित हो जाते हैं।-
अपनी problems को भी
हद से ज्यादा चाहने लगो मेरे यार,
क्या पता ये भी मुख मोड़ ले..........।
-
नन्हें-नन्हें हाथ चुम कर, फ़र्ज़ निभाने निकला है।
उम्मीद नहीं फिर लौट आने की, ये डर उसे सताता है।
ऐसे आलिंगन करता है मानो, अंतिम बार का मिलना है।
बाप के फर्ज़ से बढ़कर, उसको राजधर्म निभाना है।
भरी हुई आंखें लेकर जब, वो युद्ध की ओर चला होगा।
तब मां घर में रोती होगी, मौन खड़ा होगा बाप वहां।
वहीं भावों को मन में दबाए, दूर खड़ी पत्नी होगी।
जो ये सब देख-देख कर, सिसकारी भरती होगी।
ऐसा मंजर कई घरों में होगा, जहां हुआ है आज बिछोहा।
कोई लाड़ला बेटा होगा, तो कोई आंख का तारा।
कोई होगा बहना का भाई, जो उसको जान से प्यारा।
फिर भी अपनों का वो साथ छोड़ वो, देश बचाने निकले हैं।
ऐसा एक दिन आएगा, जब ये युद्ध भी थम जाएगा।
भीषण हुई बर्बादी फिर भी, समझौते हो जाएंगे।
सब कुछ होगा पहले जैसा, नये दौर भी आएंगे।
पर क्या हम अपनों से मिलने दोबारा आ पाएंगे?
-
जिंदगी को बर्बाद करने के लिए,
एक अमेरिका जैसा दोस्त काफी है......।-
आज फिर से कहीं पर
हिन्दू-मुस्लिम वाक़या सुनने में आया है,
देखो यार! कहीं चुनाव तो नहीं आया है।-
वैसे तो मीलों दूर हैं हम,
मगर
ज्यों ही तुझे देखने का मन करे,
यकायक आंखें बंद कर लेता हूं मैं।-