दुनिया जरूरतों से पूंछती हैं
अगर अपनी जरूरतें बताने लगोगे,
तो दुनिया कहीं दूर रह जायेगी
और आपका सफर कहीं और रह जायेगा।।।-
बहती हवाओं का ठिकाना नहीं,
जिधर रुख फ़िज़ाओं का, वहीं की हो जाती हैं...-
सपने इश्क़ मोहब्बत सब बक़वास है...
गौर से देखो दुनिया तो हर शख्स बस उदास है
क़यामत आंखे, ओंठो की सुर्ख नरमी
सब कोरी कल्पनाओं का आडंबर हैं,
जैसे कोई आकाश है चांद तारों के लिए...
-
न जाने कितनी ही बार मैंने
कलम उठाया है,
कुछ लिखने के लिए...
लिखने के लिए तुम्हारी उन यादों को,
जो धुंधली पड़ती जा रही हैं,
मैं उन्हें जीवंत कर देना चाहता हूँ...
लेकिन ये मेरे शब्द...
ये अल्फ़ाज़...मुझे बांध लेते हैं,
और मेरी भावनाएं
भड़कते हुए ज्वाले से शांत होकर,
पूनम के रात सी शीतल हो उठती है,
और यादों का सफर,
किसी पन्ने में उलझा हुआ,
कचरे के डिब्बे तक जा पहुंचता है...-
इस अंधेरी सी ज़िंदगी में
एक किरण थी
रोशनी की
वो कहीं गुम हो गयी है...
-
कहानियों कल्पनाओं से परे
एक शहर है!
जो वास्तविक है
जहाँ बस सपने बिकते हैं
लेकिन ख़रीददार नहीं है
जहाँ आदमी की पहचान
उसके ज़मीर से नहीं
उसकी हैसियत से होती है
उसकी जाति-धर्म ही सब कुछ है
हाँ यह वही यथार्थी!
शहर है
जो अब जीवंत है,
अपनी मृत आत्मा के साथ..-
मन में उमड़ती उमंगे जब शांत हो जाएं
तब एक शून्य बनता है..जिंदगी का शून्य
जिसकी न कोई तमन्ना होती है न अभिलाषा..
बस शून्य...
-