"सच्चा प्रेम" अपने पन का अहसास है ; जीस प्रेम में पाने खोने की उम्मीद हो, वो प्रेम तो हो सकता है, लेकिन उस प्रेम में, "सच्छे प्रेम" के अहसास का भाव, नही हो सकता...!!
तुम्हारी नजर अंदाजगी की बस बात जिस दर्द से हम गुजर रहे हैं उस दर्द से तुम्हें ना गुजरना पड़े इसलिए सब कुछ जानकर अंजान रहना मजबूरी है......! वरना तुम्हारी नजर अंदाजगी के अंदाजे से अंजान हो इतने नादान तो हम भी नही....है !!