शायद मुझ में ही कुछ कमी थी,
जो उस की ख़ामोशी ने पूरी कर दी।
शाम ढलते ही रूह बदल गई।
पल भर में मानो बादल छा गए,
आंखें दोनों बूंदों से चमक उठे।
अब अनजान रास्ते अपने लगने लगें,
खुली आंखों से हम अब सपने देखने लगे।
हर सुबह सूरज की रोशनी में,
फिर से हमारे फूल मुस्कुराने लगे।।-
29 DEC 2018 AT 11:26