हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥ -संत कबीर - गोविन्द सुथार "कारीगर"
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥ -संत कबीर
- गोविन्द सुथार "कारीगर"