Govind sharma© वियोग पथिक  
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व्याख्याता मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग
Joined 27 August 2019


व्याख्याता मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग
Joined 27 August 2019

हम कभी नहीं लौटेंगे अब एक दिन,
ऐ रोशनी तुम मेरा इंतज़ार मत करना।

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ज़लील होने के बाद भी इश्क़ करना,
किसी कयामत से कम नहीं।

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रास्ते अब इस कदर बेदर्द हो गए।
हम आग रह गए, तुम सर्द हो गए।।

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मेरा हश्र भी जमाने जैसा होना था।
में भी तो उन सा ही एक खिलौना था।।
जो सबने खोया मुझको भी तो खोना था।
उसके गम में अब मुझको भी रोना था।।
बेसाखियों पे प्यार को अपने ढोना था।
बिना तुम्हारे तकिए के संग सोना था।।
तेरी यादें तेरा ख्वाब मेरा यही बिछोना था।
कब तक चलता आखिर ये तो होना था।।
काली रातें चांद से यारी मेरी होना था।
अब हाथ में तेरे हाथ किसी का होना था।।
आंसू की बूंदों में जख्म ये दिल के धोना था।
प्यार में तेरे पथिक को खुद को खोना था।।

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Oh, the traveler has to leave, he will have to vacate the house of others.

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Come on, it's time to go.
You leave me,
and I leave this world.

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In this painful black night, someone is slowly dying, every star is watching silently...

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ऐसे बिखरे है रात दिन जैसे...
मोतियों वाला हार टूट गया।
तुमने मुझको पिरो के रख्खा था।।

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जो पूछता है कोई,
सुर्ख क्यूं है आज आंखें।
तो आंख बनके में कहता हूं,
रात सो ना सका।
हजार चाहूं मगर,
यह ना कह सकूंगा कभी।
कि रात रोने की ख्वाहिश थी,
मगर रो ना सका।।

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It is very important to have stagnation in life, what went wrong which came and stayed till you?
जीवन में ठहराव का होना बहुत जरूरी है,
क्या ग़लत हुआ?
जो में तुम तक आकर ठहर गया।

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