शब्दों में सृजन और विध्वंस की अपार शक्ति होती है । अतः शब्द चयन बहुत ही सोच विचारकर किया जाना चाहिए।
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The mind is a superb instrument if used rightly.
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मन चल पवन संग उस पावन उपवन में
जहां विरह स्याह, प्रीत लेखनी बन,
सृजित कर जाए अविरल, अनंत
शाश्वत, निष्कलंक कोई प्रेम ग्रंथ ।
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शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
स्वयं के लिए एक शिक्षक की तलाश में जी रहा हूं, पता नहीं मुराद कब पूरी होगी ।-
पिछले 20 सालों में जॉन अब्राहिम को छोड़कर कोई बाहरी बॉलीवुड में सुपर स्टार नहीं बन सका । मायानगरी के माफियाओं ने बॉलीवुड को अपनी बपौती जागीर समझ रखी है । सुशांत सिंह राजपूत जैसे स्वाभिमानी इंबोर्न सुपर स्टार को सुसाइड के लिए मजबुर किया गया । इसे सुसाइड नहीं बल्कि एक planned murder कहना ज्यादा उचित लगता है ।
ऐसे बॉलीवुडी माफियाओं का बॉयकट जरूरी है ।-
Let's revert to pure 'Sanatana' as it is the call of time.
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मेरा सुझाव -
दिहाड़ी मजदूरों को एक स्थान पर जमा होने से रोकने के लिए उन्हें अपने अपने स्थानों पर सख्ती के साथ रोका जाए । तत्पश्चात सभी स्थानों पर क्षेत्रवार गाड़ियों को भेजे जाने की पूरी सूची उन्हें उपलब्ध करा दिया जाए । लोग दो चार दिन सब्र कर लेंगे, मगर अनिश्चितता की स्थिति को नहीं ।-
वर्तमान परिस्थिति में दिहाड़ी मजदूरों का एक स्थान पर जमावड़ा देश के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है । मजदूर कुछ मजबूरीवश तो कुछ अफवाह के कारण पलायन कर रहें हैं। तीन महीने तक के लोकडॉउन की अफवाह फैलाई जा रही है । यथाशीघ्र ऐसी अफवाहों को रोका जाना चाहिए । कोरोना एक बारूद है, और ऐसे बारूद के ऊपर बैठने से देश को हरहाल में बचाना होगा ।
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शहर वाले कल तक जिन मजदूरों के बल बूते Lavish Life जीने का दंभ भरा करते, थोड़ी सी संकट की घड़ी आईं कि उन्हें घी में पड़ी मक्खी की तरह निचोड़कर काम से निकाल दिया । शर्म करो तथाकथित अमीरजादों । ये गरीब लोग विपत्ति के समय अपने घर में पल रहे पशुओं को भी बेघर नहीं करते ।
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कोरोना को विदेशों से लेकर आए बड़े बड़े शहजादे और शहजादियों ने और देश में डंडे बरस रहे हैं गरीब मजदरों और विद्यार्थियों के ऊपर ।
#shame-