Govind Meena   (गोविन्द मीणा)
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Joined 15 October 2018


Joined 15 October 2018
24 DEC 2021 AT 7:27

वो दीवारें भी रो रही होंगी
जिन दीवारों में
ये ईंटे लगी होगी।

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8 OCT 2021 AT 21:06

Sometimes you have to
take time for yourself too.

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20 AUG 2021 AT 19:20

बोर करना अच्छी बात भी तो नहीं

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10 JUL 2021 AT 23:04

इतना ना सताओ
नींद को की वो रुसवा हो जाए।
ये जिंदगी की दौड़ हैं साहेब
ना जाने कब पूरी हो जाए।

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6 JUN 2021 AT 16:00

(अधुरी जिंदगी )

आधी अधुरी ही सही
जिन्दगी जी रहा हूं ।
कसम खा रखी है शराब न पीने की
आंसुओ के जाम पी रहा हूं।
न शिकवा रहा न शिकायत
बस मौत तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूं।

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5 JUN 2021 AT 20:15

ना जानें क्यों इतना बैचेन हो रहा हूं
वो मेरा या मैं उसका हों रहा हूं।

शांत सा लग रहा है तन मेरा
अंतरमन में बड़ी भागदौड़ कर रहा हूं।

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12 JAN 2021 AT 7:07

सच्चाई तो है
तकदीर की लिखाई में।
वो पहाड़ों में अमृत मिलना
कीचड़ में कमल खिलना।
चिड़िया का चहकना
हवा का महकना।
उनका रूठना
मेरा मनाना।
हसना।
रोना।
सच्चाई तो है
तकदीर की लिखाई में।

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29 OCT 2020 AT 10:47

*Black & white*

रंग बिरंगी दुनिया में कोनसा रंग सच्चा है
रंग अनेक तुम्हारे तुम्हे मुबारक
तेरा यार तो बिना रंग के अच्छा है।

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27 OCT 2020 AT 12:01

Time will haunt
us as long as we wait
for the change of time.

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12 OCT 2020 AT 13:03

बहुत कुछ ऐसा था

जो मेरी कलम न लिख पाई।
उसकी जुदाई , बेवफाई , रुसवाई

न जाने क्या क्या था
मुझे ख़ुद भी तो कहां समझ आईं।

रास्ते ख़त्म होने को है उम्र ए लिहाज से
मंज़िल अभी तक नज़र ना आईं।

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