वो दीवारें भी रो रही होंगी
जिन दीवारों में
ये ईंटे लगी होगी।-
इतना ना सताओ
नींद को की वो रुसवा हो जाए।
ये जिंदगी की दौड़ हैं साहेब
ना जाने कब पूरी हो जाए।-
(अधुरी जिंदगी )
आधी अधुरी ही सही
जिन्दगी जी रहा हूं ।
कसम खा रखी है शराब न पीने की
आंसुओ के जाम पी रहा हूं।
न शिकवा रहा न शिकायत
बस मौत तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूं।
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ना जानें क्यों इतना बैचेन हो रहा हूं
वो मेरा या मैं उसका हों रहा हूं।
शांत सा लग रहा है तन मेरा
अंतरमन में बड़ी भागदौड़ कर रहा हूं।-
सच्चाई तो है
तकदीर की लिखाई में।
वो पहाड़ों में अमृत मिलना
कीचड़ में कमल खिलना।
चिड़िया का चहकना
हवा का महकना।
उनका रूठना
मेरा मनाना।
हसना।
रोना।
सच्चाई तो है
तकदीर की लिखाई में।-
*Black & white*
रंग बिरंगी दुनिया में कोनसा रंग सच्चा है
रंग अनेक तुम्हारे तुम्हे मुबारक
तेरा यार तो बिना रंग के अच्छा है।-
बहुत कुछ ऐसा था
जो मेरी कलम न लिख पाई।
उसकी जुदाई , बेवफाई , रुसवाई
न जाने क्या क्या था
मुझे ख़ुद भी तो कहां समझ आईं।
रास्ते ख़त्म होने को है उम्र ए लिहाज से
मंज़िल अभी तक नज़र ना आईं।-