आधी अधुरी ही सही जिन्दगी जी रहा हूं । कसम खा रखी है शराब न पीने की आंसुओ के जाम पी रहा हूं। न शिकवा रहा न शिकायत बस मौत तेरे आने का इंतज़ार कर रहा हूं।
सच्चाई तो है तकदीर की लिखाई में। वो पहाड़ों में अमृत मिलना कीचड़ में कमल खिलना। चिड़िया का चहकना हवा का महकना। उनका रूठना मेरा मनाना। हसना। रोना। सच्चाई तो है तकदीर की लिखाई में।