हर रोज़ मंज़िल की तलाश में..
ताकि खुद को ही जिम्मेदार समझें,
अपने हर नाकामयाबी की रात में...।-
#Expose liners..
#Engineer_of_chemical_loccha..
#Poet_as_a_passion
हर रोज़ मंज़िल की तलाश में..
ताकि खुद को ही जिम्मेदार समझें,
अपने हर नाकामयाबी की रात में...।-
बेशक हुईं थीं मोहब्बत दोनों से एक साथ
पर अब है हाथों में सिर्फ चाय का साथ..!-
मोहब्बत में तों उस हार की भी मंजूरी हैं,
जब जीत उनके घर की इज्जत को बचाने की हो..।-
कभी बहानों से होती थी बातें दिन भर,
अब दिन भर बनाते बहाने न बात करने के।-
हिजाब की आड़ मे वो एक नूर सा चेहरा,
जैसे कुछ पत्तों मे छुपी एक अधखिली गुलाब ।-
कुछ मर गए थे ज़ज्बात उनके जुदा होने पर,
बाकी मार दिये उन्होंने आज अपने नज़र-अंदाज़ी से!-
समय ने चलाया कुछ इस तरह खंजर,
ले गया इंदौरी करने खुशमिजाज अपना विरान मंज़र!-
मशगूल हुए इस तरह उनकी बातों मे कि,
कब हो गए मशहूर उनके नाम से पता
ही ना चला..।-
नज़ारा कुछ ऐसा था कि,
जब वो हाथ छुड़ा के जाने लगे,
तो लगा कि साँस भी छूट रहीं..।-
यू तो ख़ामोशियाँ भी बन जाती गवाह ,
छिपाये रिश्तों को जाहिर होने को ..!-