Govind Kumar   (<Go_(w)_ind>)
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Joined 23 April 2019


Joined 23 April 2019
28 APR 2022 AT 15:59

हर रोज़ मंज़िल की तलाश में..
ताकि खुद को ही जिम्मेदार समझें,
अपने हर नाकामयाबी की रात में...।

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4 SEP 2020 AT 10:45

बेशक हुईं थीं मोहब्बत दोनों से एक साथ
पर अब है हाथों में सिर्फ चाय का साथ..!

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26 AUG 2020 AT 22:42

मोहब्बत में तों उस हार की भी मंजूरी हैं,
जब जीत उनके घर की इज्जत को बचाने की हो..।

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17 AUG 2020 AT 20:02

कभी बहानों से होती थी बातें दिन भर,
अब दिन भर बनाते बहाने न बात करने के।

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15 AUG 2020 AT 20:42

हिजाब की आड़ मे वो एक नूर सा चेहरा,
जैसे कुछ पत्तों मे छुपी एक अधखिली गुलाब ।

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14 AUG 2020 AT 15:37

कुछ मर गए थे ज़ज्बात उनके जुदा होने पर,
बाकी मार दिये उन्होंने आज अपने नज़र-अंदाज़ी से!

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11 AUG 2020 AT 20:27

समय ने चलाया कुछ इस तरह खंजर,
ले गया इंदौरी करने खुशमिजाज अपना विरान मंज़र!

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29 JUL 2020 AT 20:21

मशगूल हुए इस तरह उनकी बातों मे कि,
कब हो गए मशहूर उनके नाम से पता
ही ना चला..।

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28 JUL 2020 AT 11:43

नज़ारा कुछ ऐसा था कि,
जब वो हाथ छुड़ा के जाने लगे,
तो लगा कि साँस भी छूट रहीं..।

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27 JUL 2020 AT 12:25

यू तो ख़ामोशियाँ भी बन जाती गवाह ,
छिपाये रिश्तों को जाहिर होने को ..!

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