Govind Jha   (गोविंद_झा)
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Joined 5 March 2021


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Joined 5 March 2021
16 AUG AT 0:03

कुछ ना कुछ तो था जरूर ही हमारे बीच
जो आज भी तेरा ध्यान मेरी ओर लेता है खिंच
मुश्किल है उस एहसास को दे पाना कोई भी नाम
मुमकिन नहीं संगम हमारा मैं ठहरा सुबह तू ठहरी शाम

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3 JUL AT 8:35

धनुष की प्रत्यंचा जितनी पीछे खिंची जाती हैं
तीर उतनी ही सटीकता से निशाने पर पहुँच जाती हैं

हमारी परिस्थितियां जितना भी हमको तपाती हैं
हमको हमारे उज्जवल भविष्य की ओर ले जाती हैं

समय की सख्ती भले ही हमको हर तरह से तोड़ जाती हैं
लेकिन समय की यहीं सख्ती हमको सफ़लता का स्वाद भी चखाती हैं

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29 MAY AT 13:17

ना होंगे तेरे ना तुझे किसी का देंगे होने
बस एक मैसेज कर रात को नहीं देंगे सोने
अगर तू भी ऐसा सोच रहीं हैं तो सुधर ही जाना
हम अच्छे से जानते हैं डुबोने वाले को भी डुबाना

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10 MAY AT 8:27

बिना बताये मेरे जीवन में आना
मन भरने पर बिना बताये ही जाना
नहीं चाहिए मुझको कभी भी तेरा साथ
तूने मतलब से ही हमेशा थामा हैं मेरा हाथ
मेरा बार बार तुझको जरूरत पे सहारा देना
मुझे तुझसे बहुत हैं लगाव ऐसा समझ मत लेना
तेरी ही नहीं मुझसे जुड़े हर एक कि मदद हू करता
मतलबी लोगों को मैं नहीं ऊपर वाला हैं तमाचा जड़ता

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8 MAY AT 0:52

कब तब तुम छुप छुप के मेरी खबर लेते रहोगी
खत्म हो चुका है सब तुम कब ये सब खत्म करोगी
नहीं चाहता हूँ कि अब तुम्हारा साया भी मुझ पर कभी परे
मै वो नहीं जो तुम पर मारता था उस दीवाने का हो गया बहुत दिन मरे

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7 MAY AT 0:54

तूने ठुकरा कर मुझको मुझे मेरी औकात बताई
सस्ता था पहले मुझे महंगा बना गई तेरी बेवफाई
अपना समझ कर ही तुझपे लुटाया था अपना क़ीमती वक़्त
अजनबियों और परायों के लिए पहले से भी ज्यादा हो गया मैं सक्त

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6 MAY AT 0:32

तुम समझ ही ना सके कभी हमारे जज्बात
क्यूँ करना चाहते हो हमसे अब तुम मुलाकात
मुझे तो हमेशा ही तूने सिर्फ एक विकल्प ही है माना
अब ऐसा क्या हो गया जो तू चाहता है मेरे करीब आना
ये प्यार कभी था ही नहीं हमारे और तुम्हारे बीच कभी भी
फिर ऐसा सोच कैसे सकते हो कि हमे तुमसे प्यार है अभी भी

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17 APR AT 17:15

मन से लगाओ माँ को आवाज
पूरे होंगे सारे बिगड़े काम काज
माता की शरण में जो भी है आया
उसने बिना माँगे ही सब कुछ हैं पाया
माता रानी की महिमा है अगम अपार
लगाती हैं वो अपने भक्तो का बेड़ा पार
मैया के दरबार मे भक्त रोते हुए जाते है
वहाँ से भरी झोली लेके ही वापस आते हैं
जिस पर बन जाती हैं माँ की कृपा कि छाया
उसका कभी कोई कुछ भी नही है बिगाड़ पाया

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

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6 APR AT 9:26

असफलता से कभी भी मत होना तुम निराश
हो सकता है समय तुझे बनाना चाहती हो खास

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11 MAR AT 9:45

भले ही हमे मिले थोड़ी सी सफलता कम
किसी को न दिया हैं नाही देंगे कभी धोखा हम
हो सकता है अपने साथ वालों से मैं थोड़ा गया पिछड़
परिस्थियों ने तपाया इतना की पहले से ज्यादा गया निखर
ठोकर लगकर अगर कभी गिरा भी तो आसानी से उठ जाऊँगा
किसी के नजारों में जो मैं गिरा तो सायद ही कभी मैं उठ पाऊँगा
इसीलिए दुसरों से अपेक्षाएँ रखना छोड़कर खुद को रहा हूं मैं तराश
बस मेहनत ही है जो सबको मेरे खास होने का कराएगी एक दिन एहसास

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