Govind Choure   (गोविन्द चौरे)
123 Followers · 87 Following

मेरी चेतना में भी नदी का प्रवाह है,
नदी ही सत्य है ,शाश्वत है,सर्वत्र है
Live -Pune
Joined 23 November 2017


मेरी चेतना में भी नदी का प्रवाह है,
नदी ही सत्य है ,शाश्वत है,सर्वत्र है
Live -Pune
Joined 23 November 2017
19 SEP 2024 AT 21:02

"निमाड़ी"
हऊ थारो करजदार छे,
जबऽ सी गयोज शहर,
ब्याज नऽ मूल उधार छे
नरब्दा जसी लगज तु,
सरल छे नऽ उदार छे ..
सीधा सट्ट शब्द छे थारा
गांव मऽ हर दिन त्योहार छे
शहर म रह्उ या गांव मऽ
कल जेत्तो लगाव थो थारा सी
आज भी वोत्तो लगाव छे...
निमाड़ी दिवस की शुभकामना..💐💐

-


4 MAY 2024 AT 22:18

तुम्हारे आने से
जिंदगी ऐसे हो गई है
जैसे कोई तपते ज्येष्ठ की तपन के बाद
बारिश की कोई ठंडी सी फुहार आई हो
तुम्हारी मुस्कराहट में देखें है मैंने
जिंदगी की उलझनों से निकलने के तमाम रास्ते,
और एक तस्वीर है जो,
मुझसे मेरी भाषा में बात करती हैं,
जहां संवाद मायने नहीं रखता
तुम मेरे लिए मेरी प्रिय भाषा हो
जिसमे देखा जा सकता हैं
जिंदगी का अनंत शब्दकोश
और जिसमें सांझा किया गया है
एक-दूजे का सुख दुख
बिना किसी संकोच के,

और जिसमे कहा और
सुना जा सकता है
अनकहा,अनसुना भी ।
तुम प्रकृति सी भी हो मेरे जीवन में
जहां,मौन पर्वत की तरह
कई संवाद है,
और शौर में कोई नदी,
जो बहती है मेरी धमनियों में,
मेरे दुःख सुख में तुम मेरा बसंत हो
तुम्हारे बिना संभव नहीं है
कोई संवाद या कोई प्रेम की कोई भाषा
और तुम्हारे साथ संभव है
बिना कुछ कहे भी हर भाषा में प्रेम

-


14 FEB 2024 AT 10:24

दिल में लगे पतझड़ में
बसंत की बहार हो‌ तुम
प्यासे तन मन जीवन में
बारिश की फुहार हो‌ तुम
नदी सी बहती अविरल
प्यार का संगीत हो तुम
मेरी कविता में शब्दों का
जैसे नवगीत हो तुम
तुम जीवन की इस बगिया में
खिली हुई कली हो तुम
मेरे प्यार के सफर में
जैसे बनारस की गली हो तुम
रहना यूं ही साथ मेरे
हर दिन हर पग पग पर तुम
बंसी सी कोई कृष्ण के लब पर तुम

-


28 JUN 2023 AT 0:07

#बारिश(रात के तीसरे पहर में)
बारिश की बूंदे
दूर करती है
धरती की तपिश को
हवाओं को महकाती हुई
प्रकृति को जगाती है
जिसे अभी अभी
नींद लगी थी
सूरज के थपेडों से
कहती है उसके कानों में
यह श्रृंगार की बेला है
फिर नदी के अधूरेपन को
खत्म करती हुई
नदी से कहती है
शहर में सन्नाटा है अब
अब तुम्हारे शोर की बारी है...

गोविन्द चौरे 🖋️

-


22 JUL 2022 AT 12:39

कुछ जायके, किसी के साथ के भी होते हैं...!

फक्त चीनी डालने से, चाय मीठी नहीं हुआ करती...!!

-


7 JUL 2022 AT 19:35


जैसें बारिश की बूंदें,
ठहर जाती हैं पत्तों पर
वैसे ही ठहर जाना तुम,
मेरे ख्वाबों में, यादों में
रेत पर उकेरी तस्वीरों में
मेरे हाथों की लकीरों में
थमना सावन की झड़ी जैसे
दिल के सूने आंगन में
जाड़ों की रात में जैसे
खत के शब्द ठहर गए हैं
कोई समा रहा है मुझमें ऐसे
इस पल जैसे उस पल जैसे..

-


7 JUL 2022 AT 13:08

यह‌ प्रकृति के श्रृंगार का वक्त है

-


8 DEC 2018 AT 21:27

हाँ उतरना ऐसे ही
डूब जाना मुझमें
इश्क़ की गहराई में
जैसे शाम होते ही
सूरज डूब जाता है
किसी नदी के तल में
भूलकर दुनियाभर के शोर को
सुनना बस मेरे दिल की आवाज
जैसे नदी संगीत सुनाती है
जीवन का गीत गाती है
डूबना ऐसे ही मुझमें ..

-


15 AUG 2021 AT 22:16

मैंने कभी नहीं पूछा फूलों का दाम
मैंने देखा था उनके हाथों में पड़े छालों के निशान

-


4 MAY 2021 AT 1:46

आसमां कुछ तो बोल
सब देख रहा ऊपर से तो
न्याय के तराजू में जरा
इंसानों को तोल

-


Fetching Govind Choure Quotes