"निमाड़ी"
हऊ थारो करजदार छे,
जबऽ सी गयोज शहर,
ब्याज नऽ मूल उधार छे
नरब्दा जसी लगज तु,
सरल छे नऽ उदार छे ..
सीधा सट्ट शब्द छे थारा
गांव मऽ हर दिन त्योहार छे
शहर म रह्उ या गांव मऽ
कल जेत्तो लगाव थो थारा सी
आज भी वोत्तो लगाव छे...
निमाड़ी दिवस की शुभकामना..💐💐-
नदी ही सत्य है ,शाश्वत है,सर्वत्र है
Live -Pune
तुम्हारे आने से
जिंदगी ऐसे हो गई है
जैसे कोई तपते ज्येष्ठ की तपन के बाद
बारिश की कोई ठंडी सी फुहार आई हो
तुम्हारी मुस्कराहट में देखें है मैंने
जिंदगी की उलझनों से निकलने के तमाम रास्ते,
और एक तस्वीर है जो,
मुझसे मेरी भाषा में बात करती हैं,
जहां संवाद मायने नहीं रखता
तुम मेरे लिए मेरी प्रिय भाषा हो
जिसमे देखा जा सकता हैं
जिंदगी का अनंत शब्दकोश
और जिसमें सांझा किया गया है
एक-दूजे का सुख दुख
बिना किसी संकोच के,
और जिसमे कहा और
सुना जा सकता है
अनकहा,अनसुना भी ।
तुम प्रकृति सी भी हो मेरे जीवन में
जहां,मौन पर्वत की तरह
कई संवाद है,
और शौर में कोई नदी,
जो बहती है मेरी धमनियों में,
मेरे दुःख सुख में तुम मेरा बसंत हो
तुम्हारे बिना संभव नहीं है
कोई संवाद या कोई प्रेम की कोई भाषा
और तुम्हारे साथ संभव है
बिना कुछ कहे भी हर भाषा में प्रेम
-
दिल में लगे पतझड़ में
बसंत की बहार हो तुम
प्यासे तन मन जीवन में
बारिश की फुहार हो तुम
नदी सी बहती अविरल
प्यार का संगीत हो तुम
मेरी कविता में शब्दों का
जैसे नवगीत हो तुम
तुम जीवन की इस बगिया में
खिली हुई कली हो तुम
मेरे प्यार के सफर में
जैसे बनारस की गली हो तुम
रहना यूं ही साथ मेरे
हर दिन हर पग पग पर तुम
बंसी सी कोई कृष्ण के लब पर तुम-
#बारिश(रात के तीसरे पहर में)
बारिश की बूंदे
दूर करती है
धरती की तपिश को
हवाओं को महकाती हुई
प्रकृति को जगाती है
जिसे अभी अभी
नींद लगी थी
सूरज के थपेडों से
कहती है उसके कानों में
यह श्रृंगार की बेला है
फिर नदी के अधूरेपन को
खत्म करती हुई
नदी से कहती है
शहर में सन्नाटा है अब
अब तुम्हारे शोर की बारी है...
गोविन्द चौरे 🖋️-
कुछ जायके, किसी के साथ के भी होते हैं...!
फक्त चीनी डालने से, चाय मीठी नहीं हुआ करती...!!-
जैसें बारिश की बूंदें,
ठहर जाती हैं पत्तों पर
वैसे ही ठहर जाना तुम,
मेरे ख्वाबों में, यादों में
रेत पर उकेरी तस्वीरों में
मेरे हाथों की लकीरों में
थमना सावन की झड़ी जैसे
दिल के सूने आंगन में
जाड़ों की रात में जैसे
खत के शब्द ठहर गए हैं
कोई समा रहा है मुझमें ऐसे
इस पल जैसे उस पल जैसे..
-
हाँ उतरना ऐसे ही
डूब जाना मुझमें
इश्क़ की गहराई में
जैसे शाम होते ही
सूरज डूब जाता है
किसी नदी के तल में
भूलकर दुनियाभर के शोर को
सुनना बस मेरे दिल की आवाज
जैसे नदी संगीत सुनाती है
जीवन का गीत गाती है
डूबना ऐसे ही मुझमें ..-
मैंने कभी नहीं पूछा फूलों का दाम
मैंने देखा था उनके हाथों में पड़े छालों के निशान-
आसमां कुछ तो बोल
सब देख रहा ऊपर से तो
न्याय के तराजू में जरा
इंसानों को तोल
-