Gourav Yadav   (Gourav Yd)
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Joined 15 March 2018


Joined 15 March 2018
6 JAN 2022 AT 1:22

ख़त



: गौरव यादव

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30 APR 2021 AT 14:27

देखने को नज़रें तरस जाती हैं उन्हे,
वो चांद, ज़िंदगी अमावस हो गई है।

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28 APR 2021 AT 22:42

ये जो झूठी मुस्कान लिए बैठे हो,
कितने गमों का ज़हर पिए बैठे हो?

किसकी याद सता रही है तुम्हे,
किस से यूं बिछड़े बैठे हो?

ये जो आंसू छुपा रहे हो
मुंह फेर कर, रूमाल के तले,
किसको टूटने से बचा रहे हो?

खुद टूटे तो टूटे,
किस किस को टूटने से बचा रहे हो,

अकेले हो रो रहे बैठे बैठे,
किसके आंसू रोक रहे हो?

सब अकेले में टूट रहे हैं,
फूट रहे है, झलक रहे है आंसू सबके,
किस से गमों को छुपा रहे हो?

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2 OCT 2020 AT 22:34

तुम कई थे, वो एक अकेली,
किसी की बेटी, किसी की सहेली,
किसी के संसार में थी, किसी का संसार वो थी,
और वो प्यारी उसके परिवार को थी,
अनजान तुम राक्षसों से, गुम वो अपने काम में थी,
झपटा पीछे से उस जब, व्यस्त अपने काम में थी,
जानवरों से तुम नहीं थे,
दैत्य हो तुम, दैत्य थे तुम,
तुम नोचते, खरोंचते, कमीज़ का खून पोंछते,
ज़ुबान उसकी काटकर, ना जाने क्या थे सोचते,
पर तो काट ही दिए थे,
इतने ज़ुल्म तो किए थे,
एक ज़ुल्म और क्यों?
इतने ज़ख्म जो दिया थे,
एक ज़ख्म और क्यों?
इतने ज़ख्म गहरे दिए, भर ना पाते जो कभी,
फिर बोली उसकी छीन कर, बच गए तुम सभी,
अगर CANDLE इस बार बुझी,
तो बुझ के ही रह जाएगी,
कुछ नहीं हुआ अगर,
किसी की ज़ुबान फिर से बिन बोले ही रह जाएगी,
फिर कोई बेटी, कोई सहेली,
धूल में मिल जाएगी।

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22 MAR 2020 AT 23:21

आज खाली बैठे घर पर,
इक कोने में कुछ दिखा,
खुशियां थी वो पुरानी,
पुरानी शैतानियां थी,
यादें थीं।
हर इक कोना जो देखा मैंने,
तो कहीं बचपन की यादें,
परिवार, भैया दीदी के साथ बिताए पल,
सब दिखे सब मिले,
ऊपर स्लिप पर कहीं कोने में
दुबककर बैठा था बचपन मेरा,
थोड़ा सहमा सा था, डरा हुआ थोड़ा सा,
पूछ रहा था,
कैसा रहा मेरे बाद का समय,
मुझे भूल के कैसा लगा,
मै क्या कहता,
मैंने भी इक झूट कह दिया,
'सब बढ़िया है'।

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18 MAR 2020 AT 23:02

समय बीत गया काफ़ी
सफ़र करते करते,
अब तो मंज़िल का इंतज़ार है।
लेकिन शायद इस इंतज़ार में
मै सफ़र नहीं कर पाया,
सफ़र जिसमें मौसम बदलते,
सफ़र जिसमें नए लोग मिलते,
सफ़र जिसमें जगह बदलती,
जिसमें कभी जाड़ा तो कभी गर्मी लगती,
या शायद ये सब हुआ,
और मै इंतज़ार में इतना गुम हो गया,
की ये सब होते हुए भी खो गया,
मै सफ़र नहीं कर पाया,
इंतज़ार ही करते रह गया।

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12 MAR 2020 AT 23:45

या तो सब अपने हैं,
या अपना कोई नहीं,
ये हकीकत है जीवन की,
सपना कोई नहीं,
हमने साथ मिलकर सुख दुःख झेले,
साथ मिलकर देखे सैकड़ों मेले,
हमारी एकता सच्चाई है,
किसी की कल्पना कोई नहीं।
या तो सब अपने हैं,
या अपना कोई नहीं।

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8 MAR 2020 AT 0:46

HAPPY WOMEN'S DAY


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6 MAR 2020 AT 2:04

यादों में तू रहेगा,
बातों में तू रहेगा,
मुलाकातों में कईं
तेरे ना होने का
ज़िक्र हमेशा रहेगा,
अब तू जाने, और तू ही समझे,
अपनी करनी को,
ये तेरे अच्छे होने का रहेगा,
या तेरे कच्चे होने का रहेगा।

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15 JAN 2020 AT 22:28

I can't see the moon today,
The clouds are restricting my view,
I suppose it's similar to
When I can't see you,
The moonlight is still soothing me,
It is still helping me feel free,
I suppose it's similar to
The aura when you are around me,
Maybe there are restricting factors,
Maybe they are good distractors,
But not good enough to distract me
From you,
That's why I don't like the distractors,
But I love you.
Yes, you are my moon
You are the moonlight,
Somebody told me
Together we shine bright,
I don't believe that somebody
But I believe you,
I am confident, your aura
Makes it the brightest view,
Brightest anyone's ever seen,
Brightest I've ever been,
Brightest enough to make me keen,
To know what it really will look like,
When we'll be together in real
And not just in a dream.

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