Jaha relationship k bich paisa aa jaye .... Waha pyar dur dur tak nahi hota..
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वो कहें कैसे हो आप ?
और मैं रोने लग जाऊं
7541959293
Ek bar kisi ko call karo agr nahi riciv kare to.. chahe road pr hi kyun na aa jao usko kabhi call mt Krna...
Swabhani bano....abhimani kabhi mt bnna-
We have four assets
1.Time
2.Health
3.Money
4.Relations
To achieve anything in life you have to invest any one. Some times all of the above-mentioned.
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व्यंग:
जिन लोगों को लगता है कि भगवान अस्पताल में रहते हैं , एक बार फोर्टिस, मेदांता , मैक्स के चक्कर लगा लीजिए कोरोना काल में चड्डी बस पहिंन के वापस आओगे बाहर।।
चलो छोड़ो लात मार के बाहर निकाल देंगे तुम्हे घुसने भी नहीं देंगे ये वाले भगवान अंदर।।
500000/- कम से कम दक्षिणा लेंगे।।
बाकी चाहो तो और किसी प्राइवेट मंदिर में घुसने की कोशिश कर लेना देश की ९० प्रतिशत जनता वहां भी दर्शन को तरस जाएगी।।
बाकी १ % लोगों के चोचले हैं कि भगवान हस्पताल में रहते हैं, और बचे ९% उन्हीं के पीछे झंडा ले के फिरते हैं।।
मंदिर में ११ रूपया चढ़ा के जैसे एहसान कर देते हैं।। ऐसे लोग चढ़ाते भी नहीं बस प्रपंच करते
हस्पताल वाले भगवान की मार नहीं सह पाओगे।।
#hospitalmafia-
देख लाली मैं तेरे बेटो को व्यथित करने आया हूँ
तेरी दुर्दशा को मैं चिन्हित करने आया हूँ
गरीबी भुखमरी बेरोजगारी है तेरा श्रृंगार बना,
आरक्षण स्वरुप दिनकर ही है अब अंधकार बना,
खुद को तेरा बेटा कहने वाला ही है तेरा गुनहगार बना,
तेरे नेता बेटा का मुख्य रोजगार है अब भ्रष्टाचार बना,
देख तेरी दुर्दशा मन विचलित हो उठता है
तेरे गुनाहगार बेटों को चित्रित करने आया हूँ ।
तेरे कुपुत्रों को चोर डकैत बईमानो से
अलंकृत करने आया हूँ,
तेरी दुर्दशा को मैं चिन्हित करने आया हूँ ।
देख लाली मैं तेरे बेटो को व्यथित करने आया हूँ
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ज़िंदगी रहेगी तो सब हाशिल कर लेंगे हम
गम क्या ख़ुशी क्या,
दर्द क्या हसी क्या,
बहार क्या पतझर क्या,
गांव क्या शहर क्या,
अपना छोटा सा घर क्या,
सब एक बार फिर से जिंदगी में शामिल कर लेंगे हम
ज़िंदगी रहेगी तो सब हाशिल कर लेंगे हम-
मौत का मौसम लेकर, एक नई वबा आईं है !
सांस भी नहीं लेने देती, ऐसी इक सज़ा आईं है !!
छू लिया इसने तो पीछा नहीं छोड़ती, जान जाने तक !
ये इश्क़ देख तेरे टक्कर की, एक और बला आई है !-
घरो से मैं दूर हूं,
मेहनत करने की चाहत से भरपुर हूं,
हा मैं मजदूर हूं ।
मैं रवि से भी लड़ सकूँ,
चट्टान के सामने अकड सकूँ,
नेताओ की आखरी बाजी हूँ,
जिद पर गर आऊं दशरथ मांझी हूँ
पर भूख के सामने छन्भन्गुर हूँ
हा मैं मजदूर हूँ ।
है अपार शक्ती मुझमे
काम के लिये भक्ति मुझमे
झरने सा में गिड़ता जाऊं
नदियाँ सा बहता जाऊं
है ना कोई डर मुझे
ना सुन्दर लिवास
ना खुद की कदर मुझे
जोश व परिश्रम शक्ती से भरपुर हूँ
हा मैं मजदूर हुँ ।
कभी इस देश से मैं खीझता हूँ,
कभी असम कभी गुजरात
कभी महाराष्ट्र मे मैं पिटता हुँ,
भला मेहनत करने पर कहीं ऐसी सजा मिलती है
भारतीय होने की बात कभी कभी खलती है,
ना ही कोई सरकार मेरी,
ना किसी से तकरार मेरी,
दर दर भटककर बस कमाने को मजबुर हूँ
हा मैं मजदूर हुँ ।-
बारिश हो रही ना जाने वो किस हाल में होगी,
चुप होगी गुमसुम होगी मेरे ख्याल में होंगी,
रोजमर्रा की जिन्दगी उससे दूर कर रखा है
यादों के जाम ने उनका नशा भरपुर कर रखा है,
रोज चांद निकल जाता जो महबूब से मिलने को,
कौन है जो इनको भी दूर कर रखा है ।-
होके मजबूर उसने मुझे भुलाया होगा,
अश्को की चादर बिछाकर किसी और को सुलाया होगा,
ना कह सका कुछ भी ना सह सका कुछ भी ,
कितने अश्क पिए होंगे फिर खुद को समझाया होगा,
मत बोलो कोई बेवफा उसे ना जुर्म उस पर कोई लगाओ यारों,
किताब में रखे होंगे अभी तक वो फूल,
खत भी अभी तक ना जलाया होगा,
अगर दोष देना जमाने को दो,
जहां जाकर उसे भूलता उस मयखाने को दो,
जाने कितने लोग उस फूल को जाकर मुरझाया होगा,
फिर उसका हार बनाकर किसी को पहनाया होगा क्या,
दोष उस फ़ूल का जो हार बनकर रह गया,
दिल में जब सुई चुभी थक हारकर हार बन गया,
जब सबने मिलकर उसे सताया होगा,
होके मजबूर उसने मुझे भुलाया होगा,
अश्कों के चादर बिछाकर किसी और को सुलाया होगा।-