अपनी उम्मीदों और इच्छाओं से भागता रहा हूं मैं
पापा, एक अर्से से अब मरता रहा हूं मैं
कल माँ को बीमार देखा तो होश में आया
एक ख़्याल आने के डर से डरता रहा हूं मैं ।।-
मेरे अंदर कुछ टूट गया है जैसे
ऐसा लगता है सबकुछ रूठ गया हो जैसे
कैसे कहूं कि नींद नहीं आती है अब रातों में
किससे कहूं ?
मेरे पापा का हाथ छूट गया है मुझसे ..!!
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बीत जानी है हर एक सुनहरी रात यहां
एक दिन हर पंछी को ये पिंजड़ा छोड़ उड़ जाना है ..!!-
कही पर सुना था,
तुम्हारी मर्जी का हो तो अच्छा
और जो ना हो तो और भी अच्छा..!!-
दिवाली में भी अब पहले जैसी वो बात नहीं रही
मिठाई में भी वो पहले जैसी मिठास नहीं रही
कैसे कहु की बहुत याद आते हो पापा तुम
मेरी हसीं में भी अब खुशियों वाली वो बात नहीं रही।।-
सोता नहीं हूं अब कई कई रात मैं
क़म्बख्त इन आँखों को अब नींद नहीं आती..!!-
Anjaan hu avi per dhire dhire ,
Sikh jaunga ..
Per kisi k saamne jhuk kar,
Pahchan nahi banaunga !!
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वक़्त से पहले हादसो से लड़ा हूँ ।
मैं अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ ।।-
जिन्दगी
जिन्दगी, तू मुझे जरुर आजमाना ,
मगर तब जब कोई पास अपना ना हो
नही चाहता
तेरी बेरुखी और रुस्वाई के चर्चे
पुरे जहाँन में हो ।।
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