तमाम उम्र तबादले में ही रहा
उसका इश्क मेरे मुहावरे में ही रहा
एक दिन बैठा वो मेरे सामने आकर
और फिर मेरे आइने में ही रहा ।
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क्या जरूरत है मुझे तुमसे कुछ कहने की
क्या आफत है तुम्हें मुझसे कुछ सुनने की
ये गर्दिशे शाम जो हमारे नसीब की कुंजी बना बैठा है
इसी की देन है की वो शख्स किसी और के दिल की पूंजी बना बैठा है
मैं अब किसी और के इशारों में तो नहीं आऊंगा
हाँ अगर वो पुकारे गा तो उसकी ओर चला जाऊंगा
अब झुर्रियों के उम्र की चर्चाओं में रहेगा तुम्हारा इश्क गौरव
तुम अलविदा जो कहोगे दुनिया को तो किसी का क्या जाएगा।
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कब तक उसके गम को पाला जाए
पुरानी चीजों को टूटने से कब तक संभाला जाए
उसके और मेरे घर के बीच पड़ता है दरवाजा बेवफाई का
आखिर कब तलक कातिल को इल्ज़ाम से बचाया जाए।-
पुराने सदमें को दिलासा दिया
नए सदमें को आने की उम्मीद दी
किसी ना किसी वजह से वो बेवफा बन जाएगा
सो उसको हमने मुर्शिद कहा और खुद को ताज ए मुरीद दी।
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क्यों ना गुजारे उसके यादों में लम्हों को हम
इतना तो हक बनता है उसने इश्क में मुरीद किया है हमको
दोबारा लौटकर ना जाएंगे उसके शहर ऐसा सोचा था हमने
गांव वालों ने भी इस बात पर खूब जलील किया है हमको।
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नायाब तोहफा मिले तो अच्छा लगेगा
वो मुझसे दोबारा मिले तो अच्छा लगेगा
झूठ ही सही कुछ तो बोले मुझसे
मुझे तो हर वक़्त वो सच्चा लगेगा
कभी देखे मुझे तो समझ आए उसको
उसके सामने रोता हुआ एक शख्स इश्क में बच्चा लगेगा।-
शुक्र गुजार हैं कि उसने शुक्रिया किया
लोगों ने तो ना जाने हमारे साथ क्या क्या किया
हम हैं मसरूफ की वो हमारे पहलू में है
है ऊपर वाले की रहमत की हमको एक नायाब तोहफा दिया
अब नहीं टाले जाएंगे हम किसी के टालने से
उसका शुक्रिया जिसने हमें दोबारा इश्क करने का मौका दिया।-
क्यों तबीयत का पूछते हो बीमार से
उसने दरवाजा भी बनाया तो दीवार से
की हैं लोग जब अपने ही खिलाफ
कैसी शिकायत फिर अखबार से
मुझे क्या मालूम कौन सा साल कौन सा महीना
उसने इतवार का कहा था मुझसे और इश्क बेरोजगार चल रहा है इतवार से ।
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वो तो उसकी कहानी में मेरा किरदार छोटा था
वरना मैं उसके गली का पता तो लगा लेता
डूब गया गांव मेरा उसके शहर से आने वाली नदी के पानी से
अब तुम ही बताओ मैं उसके इश्क को हवा कैसे देता।-