Gourav Kumar   (Gourav)
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Joined 10 October 2019


Joined 10 October 2019
2 APR AT 23:29

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1 JAN AT 18:48

कब तक उसके गम को पाला जाए
पुरानी चीजों को टूटने से कब तक संभाला जाए

उसके और मेरे घर के बीच पड़ता है दरवाजा बेवफाई का
आखिर कब तलक कातिल को इल्ज़ाम से बचाया जाए।

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1 JAN AT 18:44


पुराने सदमें को दिलासा दिया
नए सदमें को आने की उम्मीद दी

किसी ना किसी वजह से वो बेवफा बन जाएगा
सो उसको हमने मुर्शिद कहा और खुद को ताज ए मुरीद दी।

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16 OCT 2024 AT 8:57

क्यों ना गुजारे उसके यादों में लम्हों को हम
इतना तो हक बनता है उसने इश्क में मुरीद किया है हमको

दोबारा लौटकर ना जाएंगे उसके शहर ऐसा सोचा था हमने
गांव वालों ने भी इस बात पर खूब जलील किया है हमको।

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15 OCT 2024 AT 18:08

नायाब तोहफा मिले तो अच्छा लगेगा
वो मुझसे दोबारा मिले तो अच्छा लगेगा
झूठ ही सही कुछ तो बोले मुझसे
मुझे तो हर वक़्त वो सच्चा लगेगा
कभी देखे मुझे तो समझ आए उसको
उसके सामने रोता हुआ एक शख्स इश्क में बच्चा लगेगा।

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15 OCT 2024 AT 13:43

शुक्र गुजार हैं कि उसने शुक्रिया किया
लोगों ने तो ना जाने हमारे साथ क्या क्या किया
हम हैं मसरूफ की वो हमारे पहलू में है
है ऊपर वाले की रहमत की हमको एक नायाब तोहफा दिया
अब नहीं टाले जाएंगे हम किसी के टालने से
उसका शुक्रिया जिसने हमें दोबारा इश्क करने का मौका दिया।

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15 OCT 2024 AT 13:38

क्यों तबीयत का पूछते हो बीमार से
उसने दरवाजा भी बनाया तो दीवार से
की हैं लोग जब अपने ही खिलाफ
कैसी शिकायत फिर अखबार से
मुझे क्या मालूम कौन सा साल कौन सा महीना
उसने इतवार का कहा था मुझसे और इश्क बेरोजगार चल रहा है इतवार से ।

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15 OCT 2024 AT 13:31

वो तो उसकी कहानी में मेरा किरदार छोटा था
वरना मैं उसके गली का पता तो लगा लेता
डूब गया गांव मेरा उसके शहर से आने वाली नदी के पानी से
अब तुम ही बताओ मैं उसके इश्क को हवा कैसे देता।

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4 OCT 2024 AT 22:27

जरूरी नहीं कि उसी से कहें
बिछड़ भी गए तो खुशी से कहे

तेरा इश्क रुतबा ए दौलत है हमारी
हम जब गांव को लौटे तो हर किसी से कहे

कि किसने मारा है पत्थर की किसने देखा है
टूट कर बिखरा हुआ शीशा ज़मी से कहे

हमको भी उसके शहर की रौनक ना भायी
देखकर अपने घर की रौशनी से कहे

पहले किरदार निभाता था अब किरदार बन गया है
वो शख्स अपनी कहानी इतनी दिलचस्पी से कहे

उसका क्या है कभी भी लौटकर आ सकता है
मेरा आत्मसम्मान ना आने की बात हम ही से कहे

देखो अब मोहब्बत के बाग में ना जाना गौरव
दिल का मुरझाया फूल अपने कवि से कहे।

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4 OCT 2024 AT 22:12

ये क्या की मसला बहुत है
उसकी तस्वीर को तू देखता बहुत है
एक काम ही बचा है क्या बस इश्क करना
काम भी ऐसा जिसमें खतरा बहुत है
पुराने किस्से कहानियों में सुनाए गए हैं
जिससे मिलना चाहिए वो बिछड़ता बहुत है
क्या कारोबार करें कुछ समझ नहीं पाते
हमारे व्यापार में घाटा बहुत है ।

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