Gourav Kumar   (Gourav)
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Joined 10 October 2019


Joined 10 October 2019
11 APR AT 11:47

सफर के मुताबिक नहीं चला
सो मैं रास्ता भटक गया
मैं उसके इश्क के काफिले का हिस्सा जो ना बन सका
कोई शख्स कमरे में अकेला रह गया ।

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7 APR AT 17:53

बार बार वापस तो नहीं बुलाता
बिछुड़ जाने के बाद अब याद भी नहीं आता
क्या हालात क्या बेताबी सी है पाल ली है मैंने मन में
इस पुरी दुनिया में बस एक शख्स ही तो मेरे पास नहीं आता
कितना समय लगा है सदमे से उबरने में मुझको किसको बताएं
ये जो खिड़की है मेरे घर उसको पता है की ये एक शख्स दरवाजे के बाहर भी नहीं जाता ।

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22 FEB AT 21:09

कितने बिचारे हैं हम जो तेरे इश्क के मारे हैं
एक बेअक्ल इंसान है शीशे में और हम उसी के सहारे हैं ।

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22 FEB AT 21:05

वक़्त अब मुझे बदलने को कह रहा है
उम्र घर से निकलने को कह रहा है
कितने दिनों तक बेरोजगारी में इश्क करोगे
अब तो वो भी मुझे संभलने को कह रहा है।

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20 FEB AT 17:59

कितना वीरान हूँ मैं तेरे शहर में
मैं मेरे गांव बसता तो रौनक की बात होती
ये तो इश्क ने बर्बाद कर दिया हमको
किताबों से दोस्ती होती तो कामयाबी की बात होती।

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11 FEB AT 12:52

अपने गांव को बेहतर ढंग से जान तक ना सका
वो कम उम्र में शहर को चला जाने वाला लड़का
मैं तो हैरान हूँ उस को शहर में ढलता हुआ देख
उसको तो पहचानते थे लोग कहकर गांव वाला लड़का।

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11 FEB AT 12:45

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6 FEB AT 10:38

है कितनी कहानियाँ अजीब सी
मैं तेरे हिसाब से चलूँ तो मेरा किरदार मर ना जाए

तुझे बेवफा के हुनर से नवाज तो दूं मगर
डर है की तेरे शहर में कोई इश्क करने से डर ना जाए

उसी मुश्किलों के दौर का में शागिर्द बना बैठा हूँ
मेरे गांव में ये खबर पता चल ना जाए।

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5 FEB AT 19:46

किस नज़र से तूने हमको बेकदर किया है
अब हम हर हुस्न से बच कर चलते हैं
फिर से मशहूर होने के शौक से निकले हैं हम
सोचा तुम्हारे शहर ठहरते हैं
क्या कहें की क्या सितम है इश्क
लोग बार बार सम्भल सम्भल के गिरते हैं।

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31 JAN AT 17:29

बिछड़ ने वाले तू अपना पता बता दे
कब होने वाला है तू लापता बता दे
मैं भी बैठूंगा चैन से गांव घर में अपने
कैसी है शहर की आबो हवा बता दे

दो चार दिन की बात रही थी
मुझसे बिछड़ ने से पहले तक वो मेरे साथ रही थी ।

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