समय आने पर जगह खाली करना सीखो।
तेरे बिना सूरज उग रहा है, तेरे बिना चाँद रौशनी दे रहा है,
तेरे बिना गंगा बह रही है। ये अकारण जो अहं है।
"मेरा" जो "त्वं" हो जाए, "मम्" जो है- ये "मैं",
वो "त्वं" हो जाए -संस्कृत भाषा कहती है,
और "अहं" "तत्" हो जाए, इंसान धन्य हो जाए।
जब तक "मैं" हूँ, तब तक शिव कैसे आएगा...?
-बापू
मानस-नवसौ
द्वादश ज्योतिर्लिंग (विश्वनाथ)
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