Gourav Dhawan   (!! बापू फ्लावर !!)
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Gourav Dhawan
Joined 3 October 2017


Gourav Dhawan
Joined 3 October 2017
4 MAY AT 15:44

सर्वत्र उनकी कृपा के दर्शन करोंगे हर स्थिति में
तो तुम्हारा मंगलाचरण होगा....
क्योंकि तुम्हारा अंतः करण मंगलमय होगा।
-श्री गुरु कार्ष्णि शरणानंद जी

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12 APR AT 22:52

वक्त बेशक बहुत मुश्किल था
पर वक्त तो वक्त ही था।
गुजर गया...
थोडा धैर्य रखो, गुजर जाएगा।
स्वभाव सुधरना मुश्किल है....
(स्वभाव तो स्वभाव है)
वक्त गुजरा है, गुजर जाएगा।
प्रतीक्षा....
"सतत् प्रतीक्षा अपलक लोचन"

-बापू
(मानस_संवत्सर)

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12 APR AT 21:34

प्रार्थना में पांच शब्दों का ध्यान रखना
मेरे युवान भाई बहन...
१ प्रार्थना में कोई अपशब्द ना हो ,
पातक शब्द प्रार्थना में वर्जित है
(नहिं असत्य सम पातक पुंजा)
२ अपने मुख से प्रार्थना में प्रभावक शब्द की बजाए,
स्वभावक(ह्रदय में से)प्रसादिक शब्द सृष्टि होनी चाहिए।
३ शब्द प्रेरक हो, मूर्ति डोल जाए
(खसी माल मूरति मुसुकानी)
४ शब्द पवित्र/पावक हो।
और कहूं क्या अंतर्यामी, तन मन धन प्राणों के स्वामी...
करुणाकर आकर के कहिए...
स्वीकारी विनती स्वीकारी,
॥ बिनती सुनिए नाथ हमारी...॥
५ प्रार्थना में अपने लिए नहीं पारमार्थिक शब्द हो।
सर्व भवन्तु सुखिन...
"सतत् प्रतीक्षा अपलक लोचन..."
-बापू (मानस_संवत्सर)

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8 APR AT 17:05

समय आने पर जगह खाली करना सीखो।
तेरे बिना सूरज उग रहा है, तेरे बिना चाँद रौशनी दे रहा है,
तेरे बिना गंगा बह रही है। ये अकारण जो अहं है।

"मेरा" जो "त्वं" हो जाए, "मम्" जो है- ये "मैं",
वो "त्वं" हो जाए -संस्कृत भाषा कहती है,
और "अहं" "तत्" हो जाए, इंसान धन्य हो जाए।
जब तक "मैं" हूँ, तब तक शिव कैसे आएगा...?

-बापू
मानस-नवसौ
द्वादश ज्योतिर्लिंग (विश्वनाथ)

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6 APR AT 12:52

जहाँ तक बुद्ध पुरुषों का अनुभव है,
साधु संग केवल दो की कृपा से प्राप्त होता है। केवल दो कृपा।

१. या तो वो साधु स्वयं चाहे कि मुझे उसको संग में लेना है।
२. या तो - "बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता" - या तो भगवत कृपा।

हो सकता है कि भगवत कृपा हम पर हो जाए, और साधु संग मिल भी जाए।
लेकिन साधु जब तक नहीं चाहेगा कि उसको पूर्णतः मेरा संग प्रदान करूँ, तब तक मिलने पर भी परख नहीं हो पाएगी।

-बापू
मानस-मातोश्री

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5 APR AT 22:16

मानस के 7 मनोरथ
प्रत्येक काण्ड का सेवनीय तत्व
1 बालकाण्ड- हरि नाम सेवन
2 अयोध्याकांड- वचन सेवन
3 अरण्यकाण्ड- भजन सेवन
मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा।
दूसरों की सेवा बिना आशा के।
पवित्र भाव से मुस्कुराना।

4 किस्किंधाकाण्ड- मैत्री सेवन
5 सुंदरकाण्ड- धैर्य सेवन
6 लंकाकाण्ड- संघर्ष सेवन (विवेक पूर्वक)
विषम परिस्थिति जीवन में आये।
7 उत्तरकाण्ड- विश्राम सेवन

-बापू
मानस-मनोरथ

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4 APR AT 23:21

अंधकार की ही तरह है, हमारा अंहकार...
उसकी अपनी कोई सत्ता नहीं है
इसलिए अंहकार को ना तो कोई भर सकता है,
और ना कोई निकाल सकता है, उसका अपना कोई होना नहीं है।
अगर उसके साथ कुछ भी करना हो आत्मा के साथ कुछ करना पड़ता है।
आत्मा की अनुपस्थिति है अंहकार
आत्मा की Absence है अंहकार ।
जैसे अंधकार प्रकाश की अनुपस्थिति है,
वैसे अंहकार आत्मा की अनुपस्थिति है ।
-ओशो

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4 APR AT 17:29

महाभारत संदर्भ में...
मुझे आपको ये कहना है.... खोजने मत जाना।

कुछ बाते ग्रंथो से नहीं मिलती,
कुछ बाते ग्रंथी मुक्त चित से निकलती है
और मेरी दृष्टि में,
पूर्णतय ग्रंथी मुक्त सद्ग्रंथ का नाम
परमात्मा है ।
ग्रन्थ मुक्त कोई उड़ता रहे वो कृष्ण है,
कोई ग्रंथी नहीं ।
उस समय श्वेत रंग के घोड़े ने शिकायत की कृष्ण से....
अधर्म हो रहा है, हम श्वेत वर्ण है।
हम में कोई दाग़ नहीं है...
और गोविन्द तू अन्याय कर रहा है...
दादा भीष्म के प्रति....प्रतिज्ञा तोड़ रहा है,
अनीति हो रही है, छल हो रहा है।
जिसका जीवन श्वेत होता है ना,
ये पशु भी अधर्म नहीं सह सकते।
चाहे धर्मात्मा कृष्ण ही क्यों ना हो...
छल तो हुआ है...... Yes... हुआ है।
-बापू

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30 MAR AT 19:41

गुरुजनों के पास होशियारी न करे
कृपया.... कृपया.......
और सबसे बड़ी होशियारी गुरुजनों के पास ये है कि
हम छिपाते है......
एक अंश तक भी छिपाया....
बात गयी।
दुनिया से डरे.... अपने बुद्ध पुरुष से क्यों डरे
दाता देख.... ये हुआ....
ले..... देख.....
तेरे सिवा तो हम किसी के पास गये नहीं
अब तेरी जिम्मेवारी....

-बापू

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30 MAR AT 15:54

विश्वास और भरोसे में क्या फर्क है ?...

मुझे तो इतना ही आपको कहना है कि विश्वास के ऊपर भरोसा रखो...
उसमें दोनों आ जाए ...

विश्वास कौन है ?... भगवान महादेव...
महादेव पर भरोसा रखो...वो परम है ... उस पर भरोसा रखो ...
और ना रखो तो भी कोई चिंता नहीं ...

लेकिन किसी विश्वासु व्यक्ति का उपयोग ना करो...
उसको छलो मत... हम उसको साधन बनाते हैं....

मानस मनोरथ
जय सियाराम

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