रुकना तो मैं भी चाहता था ए जिन्दगी,
पर वक्त हथेली थामे अपने साथ ले जा रहा था।-
मै भी अपनी ख्वाईशों कि जिंदगी
को जी लेता मगर...!!
कभी-कभी किसी और कि ख्वाईशों को पूरा
करने के लिए अपनी ख्वाइश छोड़नी पड़ती है...।।
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सो गया वो बिना कुछ कहे
जिसने अपनी सांसे वतन
के नाम कर रखी थी ।
अपनी मां का बेटा बाद में
था वो उसने अपनी मां
वतन को मान रखी थी ।
शाहिद हो गया वो प्रेमी
किसी और के प्रेम के खातिर
उसने तो अपनी जान भारत
मां के चरणों पर रखी थी ।
कैसे भूल जाएं हम उन जवानों को
जिन्होंने अपनी जिंदगी हमारे
लिए दान में रखी थी ।-
रोता जरूर था, पर अपने
आसूंओं को छुपाता था।
उदास वो होता, पर अपना
हसता चेहरा दिखता था।
मन में शिकायते भी बोहोत थी,
पर किसी से कहा बोल पाता था।
कभी डर कर चीख भी देता,
पर कोई सुन कहां पाता था।
वो केहता देख लो मुझे,
पर हर कोई उसे अंदेखा कर जाता था।
अकेला सा हो गया था वो,
करता भी क्या बेचारा
उसे इस मतलबी जमाने से
अपनापन कहा मिल पाता था।।
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आप इश्क करते रहो
उन्हों ने भी ठान रखा है
आपका इम्तेहान लेने का ।
आप भी बोलते रहो अब
शब्र नहीं होता ले गुलाब,
और मान लेने का ।
अरे... पगली क्यों चुप्पी ठान रखी है
बचा क्या है मेरे पास देने को ।
हमारा सब कुछ तो है ही आपके पास
अब क्या इरादा है जान लेने का ।।
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लम्हें बीते कई,
दिल कि ज़ख्मों को भरने के लिए
पी लेते कई ।
हम जैसों का क्या !!
हमने तो कभी
हाथ भी नहीं लगाया इस कड़वी
दवा को ।
नई रिश्तों कि डोर से इस ज़ख्म को
सी लेते कई।।
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ना जाने किस दिशा में जा रही थी जिंदगी ,,
जो देखे थे मैने सपने वो सिर्फ आश रह गई ।।
ना जाने एसी कोन सी चिंगारी सुलगी ,,
जला गए सारे सपने सिर्फ राख़ रह गई ।।
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पहला अहसास है प्यार का
मुझे तेरी ओर कर रहा है।
मैं तो चुप बैठा हूं
मन शोर कर रहा है।।
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ख़्वाब आना भी लाज़मी है रातों में
कर रहे है इश्क़ की इबादत
अभी तो चलना सुरु किया है
इसकी राहों में
जो कुछ तुम्हारे - मेरे दर्मियां है
अब उसे नीघाओं से बताता हूं
मुकम्मल करना है
हमारा इश्क बोहोत समय
चला गया बातों में ।
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