देख तू जिंदगी
तराजू-ऐ मेहनत तुझे
इस साल भी तोलुंगा
मैं फिर उठूंगा फिर लडूंगा
तेरी लिखी किताब का
मैं फिर से एक नया पन्ना खोलूंगा-
https://www.amazon.in/dp/B07ZTM25C7/ref=cm_sw_r_cp_ read more
एक शोर था
खामोशी में मेरे
एक दर्द मेरी हंसी में था
एक समंदर
जो प्यासा था खुद
वो रेत जो नमीं में था
मेरी चिंख में
आवाज ना थी ओर
सुनने वाला जमीं में था
- BIRSA-
लड़ता हूं खुदसे
एकदीन जीत जाने के लिए
घर से मैं निकला हूं
एकदीन घर वापस आने के लिए
शुरुआत मेरे जीवन की
अंत तक जाने के लिए
चीखता हूं बेवजह
एकदीन खुलके मुस्कुराने के लिए
खो दिया मैंने खुदको
किसी रोज खुद ही को पाने के लिए-
मर्द हूं
पर कभी - कभी औरत भी होता हूं
यूं तो चट्टान है जिगरा
पर कभी - कभी लिपट कर रोता हूं
क्या हुआ जो पिता की सूरत मुझमें
मां की सीरत भी तो है
जिम्मेवारी के भार, रात भर की सोच
ओर दिन भर के काम में ना जाने कब सोता हूं
मर्द हूं
पर कभी - कभी मैं कुछ नही ओर
कभी - कभी मैं सबकुछ होता हूं-
वक्त को वक्त दो वक्त तुम्हे वक्त देगा
जो वक्त को गवा दिया क्यूं वक्त फिर वक्त देगा
ये खेल वक्त का ही ओर वक्त ही अजर अमर
तुम खेल जाओ वक्त से तो वक्त हर वक्त देगा-
जो माथे पे पसीना
ओर कपड़ों पे धूल नहीं
तो ब्याज तेरे जीवन का
ओर तुझमें कोई मूल नहीं
जिंदगी एक किताब के जैसी है
पहला खोले जो पन्ना तो आखिरी भी दूर नहीं-
लगता है सुलझ गई
ओर समझ गया हूं जिंदगी को
हर दिन उतनी ही तकलीफ
जितना जी के गुजर गया हूं जिंदगी को-
मैं वो बादल हूं जो
मौसम बना के रखता है
पर बरसता नही
जो दूरी किसी की सह नही सकता
ओर बिना वजह तड़पता नही-
मैं कद्र करता हूं उस होंसले की
जो मुझे हौंसला देते है
वो लोग जो कभी नही टूटते
जो इस बेघर को उम्मीद का घोंसला देते है-
HATERS😊
मैंने हार को कतारों में देखा है
पर मैं आज भी सफल हूं
कोशिश की गई बदलने की मुझे
वो खुद बदले पर मैं आज भी अशल हूं
-