GoravSonee   (#midnight_thoughts# —)
12 Followers · 11 Following

Joined 19 May 2020


Joined 19 May 2020
25 AUG 2023 AT 23:22

तेरी रुसवाई का सितम, कुछ इस कदर बरसा है !
तेरी आवाज़ सुनने को ये दिल, हर पल तरसा है!!

हां, कुछ तो ख़ामियाॅं मुझमें ही होंगी, ए-काफ़िर !
तुझे यूं ही नहीं मुझसे रूठे हुआ, अब एक अरसा है !!

-


24 AUG 2023 AT 23:46

काबिज़ थे हम, जाने कब से तेरे ख़्याल-ए-इश्क़ में !
मगर तेरे उन अफसानों में हम कभी शामिल ना रहे!!

हार तो चुके थे हम, कब से इस जंग-ए-मोहब्बत में!
ए काफ़िर....
मगर अब तो तेरे "वक्त" के भी हम काबिल ना रहे !!

-


18 AUG 2023 AT 23:17

ज़ुल्म-ए-इश्क़ जब किसी पर होता है !
हंसता है चेहरा, मग़र दिल ये रोता है !!

और तब हाल-ए-दिल कुछ ऐसा होता है,
ए-क़ाफिर कि सिर्फ़....

कुछ अनकहे अल्फाज़ बाकी रह जाते हैं !
कुछ ना-बयां जज़्बात बाकी रह जाते हैं !!

-


7 FEB 2023 AT 23:48

मेरी डायरी के पन्नों से, आज भी,
ख़ुशबू उस गुलाब की ही आती है!!

ए-काफ़िर,

देख़ता हूं उन ख़तों को तो, आज भी,
याद, नूर-ए-महताब की ही आती है!!

-


5 FEB 2023 AT 23:54

लफ़्ज़ों में ये अपने दिल का हाल कहता है!
नज़्मों में इसके अश्क-ओ-शराब बहता है!!

जमाना भी इसे आशिक-आवारा कहता है!
ए काफ़िर, क्योंकि,
अब दर्द-ए-दिल ये सर-ए-बाज़ार कहता है!!

-


3 FEB 2023 AT 0:24

अब ये दिल किसी को चाहने की हिमाकत नहीं करता !
अब महफ़िल-ए-इश्क में किसी से बग़ावत नहीं करता !!

ए-काफ़िर,

अब हरजाई की याद में अक्सों से सियासत तो नहीं करता !
मग़र,
अब शाम-ए-ग़म में किसी जाम से तेरी शिकायत भी नहीं करता!!


-


1 FEB 2023 AT 0:03

कुछ तो हवा भी सर्द थी,
कुछ था तेरा ख़्याल भी !

कुछ तो ऑंख भी नम थी,
कुछ था दूरियों का मलाल भी !!

-


31 JAN 2023 AT 0:04

इन रास्तों की मंज़िलें कौन है, क्या पता?
हर मोड़ पर वो एक नई राह चुन लेते हैं!

जाने कब मुलाकत होगी उनसे, क्या पता??
बस एक दीदार से हम सौ ख़्वाब बुन लेते हैं!!

-


31 JAN 2023 AT 0:02

इन रास्तों की मंज़िलें कौन है, क्या पता?
हर मोड़ पर वो एक नई राह चुन लेते हैं!

जाने कब मुलाकत होगी उनसे, क्या पता??
बस एक दीदार से हम सौ ख़्वाब बुन लेते हैं!!

-


29 JAN 2023 AT 23:49

फिज़ाओं का रुख़ अब बदलने लगा है!
जैसे कोई नई शुरुआत अब होने को है !!

घटाओं का रंग भी अब बदलने लगा है!
जैसे एक सुनहरी शाम अब ढलने को है !!

बस इक मुलाकात का तुझसे जो वादा था !
ए-काफ़िर, लगता है,
उस इंतज़ार का भी इंतकाल अब होने को है!!

-


Fetching GoravSonee Quotes