Jab naa aaye koi aash-o-ummeed bhi nazar
Toh mushkura kar kahiye
"Zindagi Mubaraq"-
Naa de ab tu mujhe wafa ki ummeed koi..
Maine wafa bhi dekhi hai ..
Aur wafadar bhi....
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किस किस ने देखा कितनी दफा देखा ....
कि छूकर देखा उसे ...।
बारे अगर खुद के कहें हम ..
तो उम्र सारी हमने तो बस दूर से देखा उसे ..।
वो खुश था साथ गैरों के ..उसकी इसी खुशी के खातिर..
जुदा होते वक्त भी ना हमने कभी मुडकर देखा उसे ..
क्या कहें कि ख्वाहिशें हुई कितनी दफा उसको देखने की..
हमने देखा तो जरूर हर एक रोज उसको..
मगर देखा जितने भी दफा कि वस दूर से देखा उसे ...।।-
एक उम्र तुझे पाने की ख्वाहिश में गुजार दी हमने
चलो एक और उम्र को तेरे इन्तजार में गुजार लेते हैं...-
Kabhi unke dekhe se mushkurahat chali aati thi " Gopal "
Toh aaj hum unko kisi aur ke sath khush dekh
Mushkura diya karte Hain ....-
Kahte the jo kabhi ki Juda hokar naa jee sakenge kabhi..
Aaj ek hum hain "Gopal "
Jo kabhi khud ko dekhte hain
Toh kabhi unko dekhte hain ..-
Hum umra saari yuhi naa sar khapaate
Agar iss sange dil kaa aasara naa hotaa..-
ना वो गुजरा दौर अपना था कभी "गोपाल"
ना उस गुजरे दौर में वो लोग थे अपने कभी ..
फिर भी हर एक शख्स को हमने
गले से लगाकर यूं ही तमाम उम्र गुजार दी ...।।-
मैं इश्क-ए-दुनिया का वो परिन्दा हूँ "गोपाल"
जो वफा के हाथों मारा तो गया है
मगर गिला नहीं करता ..।।-
कहते थे कभी कि नाकाम हुए तो ये दुनियां हंसेगी ।
दुनिया की तो छोडो , अब तो हमें ही ,
खुद के हाल पर हंसी सी आने लगी है ।।-