Gopal shah   (Writer_bhaiyaji)
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पूर्ण विराम अभी शेष है।
भाव शब्दो से विशेष है।।✍️🏻🪷
Joined 7 February 2019


पूर्ण विराम अभी शेष है।
भाव शब्दो से विशेष है।।✍️🏻🪷
Joined 7 February 2019
19 MAY AT 1:03

शिव है सुंदर तुम शिव कि छाया लगती हो
निर्मल पावन पवित्र गंगा कि धारा लगती हो।

चंचल मन से स्थिर रूप कि काया लगती हो
तुम हो संपूर्ण स्वर कि अब तक माया लगती हो।

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11 APR AT 23:55

कभी आईना कभी ख्वाब कभी याद बनकर ,
वो मिलती है हर बार मुझे मगर अंजान बनकर ।

बड़ी बेरुखी से गई थी वो मुझे तन्हा कर के ,
ना जाने क्यूं आई है वो आज फिरसे याद बनकर।

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12 MAR AT 17:00


कोई सुनता नही  यहा अल्फाज हमारे ,
हाल ए दिल हमारा वो समझेंगी क्या ?

प्रेम मे कहा जानती है वो जज्बात हमारे ,
भाव संदर्भ लिख दूं तो वो समझेगी क्या ?

शायरी गज़ल वो जरा कम समझती है ,
नाम उसका लिख दूं तो वो समझेगी क्या ?

इश्क वीश्क शायद उसे हुआ हो कभी ,
लहजा नया लिख दूं तो वो समझेगी क्या ? ।।

सात जन्म सात फेरो का साथ है उस से ,
कोरा कागज रख दूं तो वो समझेगी क्या ?

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9 FEB AT 19:27

हर रोज हम-नजर होते है हम से लोग कई।
हर रोज फिर वही खालीपन सा है।

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6 FEB AT 0:02

कभी-कभी मै खुद को भी
गुनाहगार मान लेता हूँ ।।
वो गुल गुलशन की शान है ,
मै जिसे अपना मान लेता हूँ।

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1 FEB AT 0:00


चाहत

चाहत करू अगर तो उसे भुल ही जाऊंगा,,
मगर तब क्या ' शाह ' जी पाऊंगा ,,,,......।।

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9 JAN AT 18:57

जो ना आना था वो भी याद आया है ,
अश्क बिखरा जमीं पर नजर आया है।।

उसे चाहत बहुत थी मगर अब गैर से है ,
हर शख्स मुझको कहा जान पाया है।।

ज़िन्दगी पहले ही अंजाम से गुजरी है ,
हादसा किसको समझ मे आया है।।

इश्क की बात करते है,ये क्या जानते है ,
रौशनी को भला ʼशाह, कोई छू पाया है।।

उसको चाहना भी जिल्लत बन गया है ,
कत्ल कर के वो मेरा, क्या मुस्कुराया है।।

चेहरे तमाम देखे है हसीन हमने मगर ,
आँखो ने ज़हन मे बस उसे ही सजाया है।।

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7 JAN AT 22:20

जो ना आना था वो भी याद आया है ,
अश्क बिखरा जमीं पर नजर आया है।

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6 JAN AT 10:56




#caption
( कविता को अनुशीर्ष मे पढे )

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5 JAN AT 11:19



साहित्य भाव भवर कि धारा है ,,।
लेखक पल पल डूबता किनारा है।

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