आज फिर से कही अधूरी रह गयी...
तलाशती उजाले में अपने वजूद को,
फिसलते रेत से अंधेरे में कही खो गई...
होती है रोज रुबरु, अपने अरमानो से,
ना जाने क्यों खुद का पता पूछती रह गई।
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Gopal Prajapati
(Gopu)
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आदमी अपनी सोच से बीमार है... थिंक पॉजिटिव, be positive☺️
Joined 28 May 2019
4 OCT 2021 AT 23:10
18 JAN 2021 AT 17:53
दर्पण भी थक सा गया है
पहले दर्द था...
क्योंकि भाव (emotion) थे।
अब घाव है...
पर दर्द खो सा गया है।-
11 NOV 2020 AT 17:35
कुछ गलतियां कर बैठता हूं,
ऐसा नही के ये मेरी आदत है,
बस... कुछ सीखने की चाहत है,
...किसी से जुड़ने की लागत है,
..बिछड़े को पाने की राहत है
..जोड़ने की इक सजावट है,
कभी कभी मैं भी कुछ
गलतियां कर बैठता हूं।
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9 NOV 2020 AT 18:02
वक्त के धागें में आज भी तेरे यादों के मोती पिरोये है
वो शख़्स भी अमीर है जो इस खजाने को संजोये है।-
9 NOV 2020 AT 12:45
- पहल -
शायद हमने पहले 'पहल' करके
समझौते के उसूलो में दरख़्त दे दी।
सोचा था कदम साथ होंगे उनके, पर
उसे लगा हमने उन्हें शिकस्त दे दी।-
5 OCT 2020 AT 12:37
बस दो ✌️...
एक काल्पनिक, 🤔
एक वास्तविक...😐
कल्पना जब वास्तव से
मेल खाती है तो,
हम खुश 😊 हो जाते है।
जब नही मेल खाती तो
दुखी ☹️ हो जाते है...
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