Gopal Jha   (Gopaljha95)
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Joined 21 October 2018


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Joined 21 October 2018
28 DEC 2018 AT 2:13

वर्षों से रास्तें निहार रहा हूं,
पलकों में अश्क छुपा रहा हूं,
तुम्हारे लौटने की आस में
जूगनुओं सा टिमटिमा रहा हूं,

मुझको यूं न सताओ,
अपने दिखावे की कठोरता से
हमें यूं न ठूकराओ,
अब तो लौट भी आओ,
अब मान भी जाओ,

मान भी जाओ

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31 DEC 2020 AT 23:50

नया साल है,
नया आगाज़ है,
नया अंदाज है,
चलो भुलाएं कल के ग़म,
दिन नया हुआ आज है,
नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉💞

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14 NOV 2020 AT 7:50

दीपक से धीरज रखना सीखो,
जलते आतिशबाजियों से चमकना सीखो,
हर दिन ख़ुशी ख़ुशी बीतेगी,
होली और दिवाली के अलावा,
लोगों के जिंदगी में रंग और रौशनी भरना सीखो♥️

मां लक्ष्मी जी की कृपा से आपकी जीवन हमेशा सुख, सम्पत्ति और समृद्धि से परिपूर्ण रहे♥️
🙏 दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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10 MAY 2020 AT 8:44

मां से जग है ,
वो है तो ये संसार ,
क्या चुका पाओगे उसके ममता का कर्ज,
जिसके तुम पर इतने उपकार है,

नंगे पैर जग घुमा है जिसने,
सूखी रोटी में भी जिसके,
अमृत का प्यार है,

राम भी खाए थे झूठी बैर,
ममता में बसती जिसके संसार है,
हर सुख में खुदको तुमसे पिछे रखा,
जब जब तुम पर दुख आयी ,
मां आगे अाई खड़ी लिये हथियार है,

क्या चुका पाओगे उसके ममता का कर्ज,
जिसके तुम पर इतने उपकार है,

महीनों तक जिसने संभाला तुम्हें अपने कोख में,
तुम्हारे हर आंसू पर वो हुईं बीमार है,
मोल लगा सके तो ,
उसके ममता को तौलना,
तेरे खातिर जिसने मंदिर - मस्ज़िद में मिन्नतें किए बारंबार है,

संभव है शाला न देखी होगी उसने ,
फिर भी उसने दिए तुम्हें संस्कार है,
मां थी जिम्मेदारियों की बंधी थी,
सर कटे पर सर झुके नहीं,
शहीद भगत सा किया तेरे कांधों को तैयार है,

अभिमानी,
अभिमानी हो तुम ,
जाने अंजाने में कितनी बार किया तिरस्कार है,
मुड़ कर देखना ,
फिर भी बांहे खोले तुम्हें अपनाने को वो तैयार है ,

क्या चुका पाओगे उसके ममता का कर्ज,
जिसके तुम पर इतने उपकार है,

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18 APR 2020 AT 23:01

When we think nothing to gain,
Feeling Helpless,
Nights are sleepless,
But, I will stand up,
To Continue the fight again,
That toxic time again........

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6 APR 2020 AT 19:38

आगाज़ है ये अंत का ,
दुनियां से रिश्ता है ये अनंत का,
धधकती सैकड़ों मशाल है,
देखो हर किसी के हाथ में आग है,

नफरतों में समाज है,
ये अंत का आगाज़ है,
भाईचारा अब बस राजनीति बन कर रह गई,
बच के रहना अपनों से मां बच्चों से कह गई,

किस भेष हो दरिंदा,
कौन अब यह बताएगा,
पढ़ लिख कर सभ्यता जो इनकी मिट रही,
इन्हें संस्कार कौन सिखाएगा🤔

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8 MAR 2020 AT 17:29

आगाज़ हो समाज का,
अंत हो अंनत का ,
तुम्हें जीना कौन सिखाए और किस बात की तुम लो स्वीकृति,
तुमसे ही होती है शुरू सभ्यता और संस्कृति ♥️
EVERYDAY IS WOMEN'S DAY ♥️

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21 FEB 2020 AT 8:03

भांग धतूरा और बिल्वपत्र,
बाबा को बड़े प्यारे हैं,
भस्म लगाया धुनी रमाया,
देखो भूत प्रेत संग भोले बाबा पधारे हैं,
लाखों गलतियों के बाद भी देखो बाबा हमें स्वीकारे हैं,
हर हर महादेव है मंत्र हमारा हम भोले बाबा के सहारे हैं,
🚩 हर हर महादेव 🚩

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18 FEB 2020 AT 19:47

जीवन बीता है पिंजरे में,
और तुम्हारी शिक़ायत है कि हम उड़ते नहीं,

आजादी मेरी पिंजरों वाली,
अब तो उन्मुक्त गगन भी दिखते नहीं,

पंख फैलाए नहीं वर्षों से,
और शिक़ायत तुम्हारी ए पंक्षी तुम चहकते नहीं,

आजादी मेरी पिंजरों वाली....

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15 FEB 2020 AT 12:51

तेरे परछाइयों को ढूंढ़ते ढूंढ़ते,
जाने हम कहां आ गए हैं,
ना तेरे हो पा रहे हैं,
न किसी और को गले लगा रहे हैं,
शायद मेरा लौटना अब मुमकिन नहीं ,
धीरे धीरे हम तेरे राहों में फना हो रहे हैं♥️

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