वो जो थम सा गया लम्हा , क्या तुम थे ? नहीं... हम थे ,
जितना झूठ तुम्हारा था , उतना सच मेरा भी तो था... वादे तुम्हारे थे तो , उन वादों पर यकीन मेरा भी तो था... कल की तुमने सोची थी , लेकिन वो पल जिया मैने भी तो था... तुम्हारी उम्मीदें ज्यादा थी , मगर उम्मीदों का मकान मेरा भी तो था...
वो जो थम सा गया लम्हा , क्या तुम थे ? नही हम थे यार...🫠