हवा चल रही है तेरे दुपट्टे की हलचल से,
हवा से दुपट्टा तो कनीज़ों का उड़ता है..
नशा भी डूब गया है तेरे नयनों के दरिया में,
नयनों से नशा तो कनीज़ों का चढ़ता है..
ख़िलते हैं गुलाब भी तेरे लबों को छूकर,
लब गुलाब सा तो कनीज़ों का लगता है..
देखकर झलक तेरी लोग मुरीद बनते हैं,
ये आशिक़ों का फ़साना तो कनीज़ों का बनता है..
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क्या पहचान पाओगे हमारे बारे में.......?
हम कलम की ... read more
मेरे इश्क़ के सवाल पर तेरे लब ख़ामोश हैं,
तेरी मदहोश आंखों में मैं अपना जवाब ढूँढता हूँ,
जिया हूँ हमेशा बेवज़ह ही इस दुनियां के शोर मैं,
अब शोर में मैं किसी अपने की आवाज़ ढूँढता हूँ
यूँ तो रोज़ गुज़रती हो तुम मेरे क़रीब से होकर,
अब तेरे क़रीब होने पर अपनेपन का एहसास ढूँढता हूँ,
यूँ तो प्यासा हूँ मै एक अरसे से तेरे बिन,
बुझा सके बस तू, खुद में वो प्यास ढूँढता हूँ
कई राज छुपा कर रखे हैं इस ज़िन्दगी के मैंने,
किसी एक को बता सकूं, ऐसा हमराज़ ढूँढता हूँ
रातें गुज़रती हैं आज कल करवटें बदलकर,
और तेरी नींदों में मैं अपने ख़्वाब ढूँढता हूँ,
मेरे इश्क़ के सवाल पर लब खामोश हैं तेरे,
और मैं तेरी आँखों में अपने जवाब ढूँढता हूँ-
आज तुम राह देखती हो मेरी,
कल से हम तुम्हारा इंतज़ार करेंगे.....
कल तुम लाल जोड़े में सजोगी,
और हम तुम्हारा सबसे पहले दीदार करेंगे...
दिल में मैं रहूंगा,पर साथ न रहूंगा,
चंद लफ़्ज़ों के ज़रिए ,पास होने का अहसास करेंगे.....
दूरी भी जरूरी है, मुकंबल ज़िन्दगी के लिए,
मगर हमने तो प्यार सीखा है, तो प्यार करेंगे....
मुलाक़ात न हो तो तुम मायूस न होना,
दिल पे हाथ रखना, दिल के आस पास रहेंगे....
ज़िन्दगी के जो पल तुमने मुझे दिए हैं,
ताउम्र मेरे मन को वो पल याद रहेंगे.....
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दोस्त तो बहुत हैं, मगर ज़िगर के टुकड़ों की बात ही कुछ और है,
मिलते तो सब हैं, पर उनके मिलने का अंदाज़ ही कुछ और है.....-
कभी ढूंढना हो मुझे तो गर्दन झुका लेना,
दुनियां में नहीं तेरे दिल मे नज़र आऊंगा,
जब दिल भारी हो जाये मेरी याद में सनम,
रात में तेरी छत पर तारा बना नज़र जाऊंगा....
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ए दिल बता आख़िर तेरी तलाश क्या है...?
जो बुझ नहीं पाई मेंरी, आखिर वो प्यास क्या है...?
यूँ तो दुनियांभर की खुशियां है मेरे पास...
पर पूरी करे बस तू, कैसे कहूँ वो अरदास क्या है...?
दिल तलाश में था तेरी, दिल-ए-ज़ज़्बात कहने को,
अब मिले हो तो कैसे कहूं कि वो बात क्या है....?
लफ़्ज़ काफ़ी नहीं है, हाल-ए-दिल बताने को.....
कुछ तुम नज़रों से समझ लेना कि दिल में बात क्या है....,
मुलाक़ात करो जब मुझसे तो नज़र मेरी नज़रों में रखना,
नज़रों में नज़र आयेंगे कि दिल मे एहसास क्या हैं......,
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जिसकी याद में मैंने किताबें लिख दीं,
वो गुज़र जाते हैं सामनें से बेगानों की तरह,
शराब को पीकर भी मुझे नशा न हुआ,
मैं रह गया बोतल के पैमानों की तरह,
जिनती दूर से देखा उतनी नजदीक थी तू,
पास आकर हो गई धरती-आसमानो की तरह,
कभी कहती थी कि"तेरे लिए इस दुनियाँ से अंजान हूँ मैं",
मिलती है आज मुझसे अनजानों की तरह....
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साथ तेरा ही चाहिए था, चाहे साथ में गम सही,
साथ तेरे ही जीना है, चाहें कुछ दिन कम सही....
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वक़्त इतना भी बेरहम होगा कभी सोचा नहीं था,
मुझे तोड़ने वाला मेरा ही सनम होगा, कभी सोचा नहीं था....
मिलना बिछड़ना तो क़िस्मत की बातें हैं,
पर हम पर ही क़िस्मत का सितम होगा, कभी सोचा नहीं था....
दिखा दूँ मैं दिल के जख्म अगर तुम्हें
लगाने को ना मरहम होगा, कभी सोचा नहीं था....
ज़ख्म देने वाले मरहम क्या लगाएंगे,
पर नासूर बना देंगें, कभी सोचा नहीं था.....
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दिल तो तुमसे ही लगा था, तो कभी किसी से आस नहीं की,
जब से तुम गए हो तब से किसी से दिल की बात नहीं की,
अँधेरा बहुत हुआ पर कभी भी दिल में रात नहीं की,
सपनों में मिल लिया तुझसे, पर किसी और से मुलाक़ात नहीं की,
ख़त पढ़ लिया करता हूँ तेरे, जब ज्यादा याद आते हो,
शब्दों में ही चेहरा देख लेता हूँ, कभी तुझसे फ़रियाद नहीं की,
अभी जिंदा हूँ तो तो मौक़ा है तेरे पास मुझसे गुफ़्तगू करने का,
कल को मर गया तो ये न कहना कि मुझको राख़ नहीं दी...
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