करूंगा इश्क तो मुकम्मल भी कर सकता हु मैं अपना हर एक वादा अमल भी कर सकता हु मैं चुनावी दौर में परपोज करना पड़ गया तो क्या ? इस गुलाब की जगह कमल भी कर सकता हु मैं ?
पुरानी ही कोशिशें है , नया कुछ भी नही है समय गुजर रहा लेकिन जाया कुछ भी नही है जानता हूँ पाने की जिद है, वो आसमाँ मुझको पर सफर में हु अभी , पाया कुछ भी नही है ..