हर काम में, काम ही बाधा होला
जबभी ई, हद से ज्यादा होला ..
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रोज कर्म के कमाई तोहरा करे के परी
आपन खाता सत्कर्म वाला भरे के परी
दुनिया में त बहुत कुछ बा पावे खातिर..
बाकी लक्ष्य पावे खातिर तोहरा मरे के परी
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बहती नदी की गहराई कितनी है ?
आसमान की ऊंचाई कितनी है ?
मैं जिंदा हु, सिर्फ मैं मानता हु..
पर इस बात में सच्चाई कितनी है ?-
होला अच्छा त, सब अच्छा लागेला
बड़ा मुश्किल भी तब बच्चा लागेला
ना होखे लायक काम भी तब हो जाला...
जब उ काम के पीछे केहू सच्चा लागेला-
अंजान सफर में यार के जरूरत होला
हर संबंध में व्यवहार के जरूरत होला
आपस में लड़ के मरला से का फायदा
इहा सब केहू के प्यार के जरूरत होला
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करूंगा इश्क तो मुकम्मल भी कर सकता हु मैं
अपना हर एक वादा अमल भी कर सकता हु मैं
चुनावी दौर में परपोज करना पड़ गया तो क्या ?
इस गुलाब की जगह कमल भी कर सकता हु मैं ?-
ना उम्मीद बा केहू से, ना चाहता बा कुछु
अझुराईल बा जिंदगी, ना राहत बा कुछु
आफत के आहट से आहत बा जिंदगी सबके
सब लाश के ढेर भईल, ना बाचत बा कुछू
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तुम खुद से खुद को खुद नही समझते
अपने होने का कोई भी वजूद नही समझते
प्यार पाने के लिए प्यार करना पड़ता है, दोस्त
तुम इश्क को अभी कुछ नही समझते-
पुरानी ही कोशिशें है , नया कुछ भी नही है
समय गुजर रहा लेकिन जाया कुछ भी नही है
जानता हूँ पाने की जिद है, वो आसमाँ मुझको
पर सफर में हु अभी , पाया कुछ भी नही है ..-
श्रृंगार अधूरा लागेला, बिंदी के बिना
संसार अधूरा लागेला, हिंदी के बिना-