अपने हाथ में खुदा है अपना
खुद को कोसे मत रहिये,,
रेखाएँ भी मिट सकती हैं
भाग्य भरोसे मत रहिये....-
आप तो होंगे भले , मेरा भला कर दीजिए
उम्र है गिरवी रखी, कुछ फैसला कर दीजिए...-
अपनों के एहसान भुलाए, जब दुख के हालात टले
कद्र दीप की घटती जाए, जैसे-जैसे रात ढ़ले!!
दुखों के अपने बीमा कर लो, बस एक बात का ख्याल रखो
बुरे व़क्त में काम आऐंगे, अच्छे लोग संभाल रखो...!-
अब कहाँ उन दिनों जैसी यारी रही, साथ मिलकर गमों को जताते तो थे
जिससे होती थी रोशन फ़िज़ा औरों की, वो दीये अपने घर में जलाते तो थे ,
गांव, गांवो की गलियों में अब ना मिले, अब सहरिया हुएं हैं सभी आदमी
पेड़ पीपल का पनघट पे अब ना रहा, गीत गाके पपीहा सुनाते तो थे,
आज सबको ही पाऊँ मैं पढ़ा लिखा, पर ना गांधी, ना गौतम कोई बन सका
एक अक्षर किताब का पढ़े बिना, ढाई आखर कबीरा पढ़ाते तो थे,
दोस्ती हर गली में द्रुपद-द्रोन की, एक भिखारी बना, एक राजा बना
कृष्ण कोई सुदामा को अब ना मिले, जो महल मीत खातिर लुटाते तो थे ....-
साल लाए हमें दहलीज पर किस हाल के
चंद लम्हें संभाल लूं मगर फिलहाल के
वक्त , बेवक्त बुरे वक्त गुजर जाऐंगे
हम न गुजरे अगर, ये वक्त भी याद आऐंगे....-
मेरी सांसों में हिस्सेदारी रखो, उम्र जितनी बची है सारी रखो
ईश्क करो हमसे या बैर करो , अपनी खिड़की पर आना जारी रखो....-
चलो कुछ काम तो आए मेरे,
हुए आखिर हो रूबरू मुझसे
लिए जाते हो जनाजा किसका,
शक्ल मिलती है हुबहू मुझसे..-
एक डोरे पर टंगी थी, मुफ्त में शायद पड़ी थी
लूट ली सबने खुशी , मुझको मिली बर्बादियाँ,,
मैं तिराहे पर खड़ा, सम्मान सबको बांटता था
नाम सबने चुन लिया, केवल बची बदनामियां,,
ये जुबां जबसे खुली, आवाज ने तरजीह पाई
अब हुआ मालूम , कि हकदार थी खामोशियाँ,,
हाथ से बचपन गया जब, तब समझ ने राज खोले
मेरी सब अच्छाइयों से, थी भली बदमाशियां...-
हर मुश्किल से खेलेंगे, हर वक़्त की ख़बर लेंगे
कुछ उम्र तो नवाज ऐ जिंदगी, हम हर दौर से गुजर लेंगे...-
दूब को दरकार जिसकी, वो घनी बरसात तुम हो
दिल करे करते ही जाए, एक सुहानी बात तुम हो,,
अब रहुँ बेहाल क्यूँकर , अब मेरा हर हाल तुम हो
मैं अगर नन्ही सी चिड़िया, एक हरी सी डाल तुम हो,,...-