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श्याम ही मेरा धाम।।
मै कलम हूं,
मै जज्बातों को नहीं,
जज़्बात मुझे चुनते है
Kya ... read more
वो हमे चुपके से
निहारता रेहता है
जब हम उसे गौर
से निहारते रहते है ।।-
नहीं समझ आता तुम्हारा मौन कृष्ण ,
नहीं सुन पाती हूं तुम्हारी मौन अधरों को ,
नहीं जान पाती हूं तुम्हारी बातें
तुम्हारी मुस्कान को देख ,
नहीं परख पाती हूं तुम्हारी ना
झपकाने वाली आंखे कृष्ण,
नहीं पोंछ पाती हूं तुम्हारे मिथ्या
मुस्कान के पीछे छुपे अश्रु ,
असमर्थ हूं मैं तुम्हारी प्रेम समझ ने मैं ,
विवश हूं तुम्हें प्रेम पुकारने में,
तुम ही कुछ कह दो ना प्रिये
दो लफ़्ज़ प्रेम के लिख दो ना प्रिये ।।
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कभी फुर्सत मिले तो बैठना पास मेरे ,
एक हृदय की वेदना सुनानी है ,
एक हृदय में लिपटा अनेकों हृदय की व्यथा सुनानी है ,
कभी फुर्सत मिले तो देखना गौर से ,
आँखों में सजा काजल तले इन्तेज़ार की फ़रियाद दिखानी है ,
दो नेत्रों में समाया अनेकों नेत्रों की जागी रात्री की चांदनी तले विरह की शीतल अश्रु जल दिखानी है ,
कभी फुर्सत मिला तो सुनना जरूर कृष्ण,
हृदय में तेरी कृष्ण प्रेमिकाओं के धड़कता हृदय में तेरे नाम की पुकार सुनानी है ,!!-
जानती हूँ कृष्ण संसार को प्रेम रास नहीं आता ,
समझने से पहले ही नासमझने के बहाने ढूंढ लेता है !
पर कृष्ण ,
झुके अगर कभी तू प्रेम से पहनाने मुझे पायल,
क्या यह संसार उठाएगा असंख्य सवाल !!
क्या करेंगे वो लोग अपने शब्दों से मुझे घायल ?
प्रेमिका का एक प्रेमी से सवाल 🥺-