कभी उस दिन को याद किया है मैने,जब मां पास हुवा करती थी।उसके पहलू में हर दिन हर शाम huva करती थी।आज भी उसकी रशोई का ज़ायका मायने रखता है।मां,आज भी तेरा वो नादान सा बच्चा कोने में छुपके रोया करता है।कई हादसे हूवा करते है आज भी जिंदगी मैं।पर पहले सा माथे पर कॉन हाथ रखा करता है?
ज़माने चले गए है जैसे .....तेरे जाने के बाद ओ मां तेरे आंचल सा कोई साया कहा मिलता है। बहोत याद आती है तेरी,खुशी मैं भी...... गम मैं भी....आज भी वो बच्चा.....कभी कभी बच्चा बन जाता है।
©गीता एम खूंटी
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