Gita M Khunti  
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Joined 28 November 2019


Joined 28 November 2019
9 OCT 2023 AT 19:38

कभी उस दिन को याद किया है मैने,जब मां पास हुवा करती थी।उसके पहलू में हर दिन हर शाम huva करती थी।आज भी उसकी रशोई का ज़ायका मायने रखता है।मां,आज भी तेरा वो नादान सा बच्चा कोने में छुपके रोया करता है।कई हादसे हूवा करते है आज भी जिंदगी मैं।पर पहले सा माथे पर कॉन हाथ रखा करता है?
ज़माने चले गए है जैसे .....तेरे जाने के बाद ओ मां तेरे आंचल सा कोई साया कहा मिलता है। बहोत याद आती है तेरी,खुशी मैं भी...... गम मैं भी....आज भी वो बच्चा.....कभी कभी बच्चा बन जाता है।
©गीता एम खूंटी

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25 DEC 2022 AT 21:43

यूं चलते गए है हम अंजान राहों पर,
शायद ये राह तुझ तक ले जाए मुझे।
©गीता एम खूंटी

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6 SEP 2022 AT 16:48

कहा थे रास्ते मंजिलो के,वो भूल गए
रूहानियत सी लगी ये चाहत तेरी मुझे
ख्वाबों को संजोया आंखो में,पर ख़्वाब
देखना ही भूल गए,तुमसे जो मुहोबत हुवी।
©गीता एम खूंटी

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6 SEP 2022 AT 12:14

जो आज तक छूटती नही।
©गीता एम खूंटी

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2 SEP 2022 AT 19:10

मुसाफिर तुम्हारी मंजिल का,यू बदनाम हो जाए,
सफरनामे के नाम पर,चलो एक चाय हो जाए।
©गीता एम खूंटी

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2 SEP 2022 AT 15:59

मिल जाए शायद कभी कोई रूहानी सी मुहोबत,
सांस आती जाती रहे मेरी तेरे साथ इतनी है चाहत।
©गीता एम खूंटी

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2 SEP 2022 AT 15:57

हा,करनी है मुझे तुमसे रूहानी सी मुहोबत।
दो बदन एक जान जैसे,ऐसी होगी अपनी चाहत।
हा••• एकबार मुझे करनी है तुमसे.......
बस रूहानी सी मुहोबत.....।
©गीता एम खूंटी

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1 SEP 2022 AT 11:40

यू दामन में अपनी लज्जा से शर्माए से रहते हो ,
हसीन लम्हों को और भी हसीन बनाए बैठे हो।
©गीता एम खूंटी

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1 SEP 2022 AT 11:33

कभी कोई किनारा भी,मुजमे पूरा समंदर भर गया,
हर लम्हा जिंदगी का ,मुज्मे कुछ ना कुछ दे गया।
यू तो काफी लंबा सफर ना था हमारा,
जहां भी गए मुज में कोई कारवां बस गया।
©गीता एम खूंटी

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1 SEP 2022 AT 11:28

चंद अल्फाजों में अपनी पूरी कहानी बयां कर जाए,
मशहूर हो इतने के,ज़माने को याद रह जाए।
©गीता एम खूंटी

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