कुछ जज्बात सही गलत के बीच रह गयी
बाकी का कत्लेआम तो लोग क्या सोचेंगे ने कर दिया-
खाकर आधी रोती हमे पूरा खिलाया है
वो माँ ही है जो अंधेरों मे रह के हमे उजालो से मिलाया है
खुद पुरानी साड़ी पहन हमे सदा सजाया है
वो माँ ही है जो खुद की खुशी भुला हमे ख्वाब बुनना सिखाया है
❤️🙏🙏-
कुछ अनसुनी कुछ अनकही बात करते है
चलो आज फिर एक कोरा कागज भरते है
हज़ारों के भीर में भी अकेलेपन को महसूस करते है
औरो से नहीं आज खुद से गुफ्तगू करते है
ज़िंदगी के बीते पन्नो को बड़े आहिस्ते पलटते है
कुछ अनदेखी कुछ अनजानी बाते करते है
चलो आज फिर कुछ मीठी यादे संजोते है
आँखों से मोतियां यूँ ही बह जाने देते है
आज जज्बातो को भी आजाद करते है
लब्जो को नहीं आज खामोशी को सुनते है
कुछ अनसुनी कुछ अनकही बात करते है
चलो आज फिर एक कोरा कागज भरते है-
चलो एक रात चाँद के साथ बिताते है
खुली वादियों में खुद के साथ
सन्नातो को सुनते है
मीठी रोशनी में खुद के साथ
तन्हाइयों को देखते है
चलो एक रात चाँद के साथ बिताते है
आँखों में लिपटे नींद को तोड़
पूरी रात जगते है
रोशनी का साथ छोड़
आज अंधेरों को जीते है
चलो एक रात चाँद के साथ बिताते है
ख्वाबो को नजर अंदाज कर
यूं ही ख़ामोश रहते है
उपेक्षा की बोतली को दूर कर
आज यूं ही जीते है
चलो एक रात चाँद के साथ बिताते है
-g!R!$h
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क्यू तेरी खुशबू से ही
खुशियाँ हवाओं मे फैल जाती
क्यू तेरी दीदार से ही
दूनिया ज़न्नत से रूबरू हो जाता
शायद तू खुदा का चेहरा
या उसकी बेहतरीन इबादत
तेरे एक हसी से ही
कितनो के दुख यूँ ही दूर हो जाते
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अजीब सी कशक है उसकी मुस्कान में
हँसती वो है और घाव मेरे भर जाते है
अजीब सी इनायत है उसकी खुशियों में
खुश वो होती और दुख मेरे दूर हो जाते है
उसकी खूबसूरती को कैसे बयान करू
जब भी साथ होता तो तो मैं भी हसीन हो जाता
उसकी अच्छाई को कैसे बयान करू
जब भी साथ होता तो मैं खुद से बेहतर होता
उसकी आँखों की बात करू तो
लगता दो हसीन तारे फलक से उतर कर जमीन पे आ गए है
वो खुदा का चेहरा या उसकी इबादत है
केवल उसके दीदार से जन्नत से रूबरू हो जाता हू
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Wo gulab ki pankhuri
Sawan ki Pehli barish h
Wo tanhai mein apnapan
Udasi mein mithi si muskan h
Wo khuda ka chehra
Ya khuda ki inayat hai
Wo dekhne mein Apsara si
Fir v kitni simple n sover hai
Wo sukun ka ehsah
Ya khushpehmi ka srot hai
Wo achai ki Murat
Sayad hazaro ni arabo mein ek h
Sayad hazaro ni arabo mein ek h-
चलो कुछ अल्फाज़ लिखते है
अतीत पे ना ही अफसोस हो
ना ही भविष्य की फिक्र
चलो कुछ पल यूं ही जीते है
जो दूर हुए उसपे गम नी
जो साथ है उनका शुक्रिया
तहे दिल से करते है
चलो इस भीड़ मे अपनो को खोजते है
ना दर्द किसी को देते है
ना खुद ही लेते है
इस दो पल की जिंदगी मे
चलो आज किसी की मुस्कान बनते है
मंजिल की तलाश
थोड़े देर के लिए छोरते है ना
इस हसीन रास्ते का ही मौज मनाते है
चलो आज खुद से ही अजनबी होते है
चलो कुछ अल्फाज़ लिखते है-
तमाम उम्र बस एक
सिलसिला चलता रहा
दोष अपेक्षा की थी
और दोष औरो को देता रहा-
What is happines? 😃😊
If we become reason of smile of anyone.
What is sadness?😥☹️
If we hurt anyone intentionally or unintentionally.
And intensity of happiness n sadness depends on affected person how much close to us.-