girish nautiyal   (अवधूत)
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मंथन
Joined 23 March 2019


मंथन
Joined 23 March 2019
11 AUG 2021 AT 22:51

रहबरों तुमने तो .......मंजिल का पता तक ना दिया।
जो पग डोले राह ए इबादत में मेरे
तुमने मुझे पथ भ्रष्ट बता दिया,

अविरल प्रवाह इन दो झरनों के यू तो,
धोते आए इस चंचल मन को,
तुमने तो इसको भी बस ,
कामिनी के वियोग का संतप्त बता दिया

दोष चपल चंचलता का हो या
कहर बेरहम पहिए के चलने का
तुमने तो इसको भी विषयों में संलिप्त बता दिया,

अभी निशब्द सा हूं किसी मंजर पर सा अटका,
और ओ मेरे जो थे...., हित साधक अब तक
अब उनने भी पीठ पर खंजर दे पटका।

रहबरों तुमने तो मंजिल का पता तक ना दिया ,
बुझा कर प्यास अपने कंठ की,
घड़ा तप्त ज्वाला की तापक पर रख दिया।।

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30 SEP 2020 AT 20:05

सुनो द्रोपदी अब शस्त्र उठाओ .
गोविन्द नहीं हैं आने वाले और
सुनो ये अवतारी सूर्पनखा रानी
राम लखन से धैर्यशील ना मिलने वाले

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6 JUN 2020 AT 7:30

कि किसी ने कमाल की बात कही है....

फिर से शुरुआत करने में
कभी न घबराना..
क्योंकि....
इस बार शुरुआत शुन्य से नही
अनुभव से होगी..

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13 MAR 2020 AT 10:29

चलो एक नया कल ढूंढते हैं.....
आसमान को रहने दो......
जरा पहले उसका तल ढूंढते हैं
ओ जो शिकार आत्मप्रवंचना के...
आज फिर उनका निश्चय लक्ष्य ढूंढते हैं

प्रबलता का एक बोध लें खोज
समन्वित हो संकल्प ढूंढते हैं
पीर सागर सी हो रहीं सबकी
आओ मिल जुल कर हल ढूंढते हैं

कथित हम राही हैं सभी
एक निष्ठ साथी अटल ढूंढते हैं
झूठ प्रवंचना के प्रवर्तक बहुत
सत्य निष्ठा का प्रवर्तक ढूंढते हैं
आओ मिल जुल कर हल ढूंढते हैं!

G C N (अवधूत)

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26 JUL 2019 AT 13:10

आधी अधूरी.... हर बात लिख दूँगा..
यू ना उलाहने दो पीठ पर, खुदरंग हू।
उठा ली कलम तो फिर,
तुम्हारी औकात लिख दूँगा।।

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4 JUL 2019 AT 8:41

ना खुदा ही मिला ना बिसाले सनम
ना इधर के रहे ना उधर के रहे हम।

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15 MAY 2019 AT 4:33

पैमानों की हद को तोड़ो,
मयखानों की राह भी छोड़ो,
कर लेंगे वो सब भी कल
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं बल

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1 MAY 2019 AT 6:49

अगर , मगर, काश की आश मैं,
लापता हूं कब से मैं
खुद की तलाश में ............

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11 APR 2019 AT 14:39

सुन वो मेरा है ये जो गुमान है
वक्त के साथ धूमिल हो जाएगा
और जो ये गर्मी रगों में है
बरसात के साथ सिथिल और कत्ल हो जाएगी

आज जिनको तो महज अपना कहता है
कल वो तेरा नाम भी भूल जायेंगें
चल उठ वो देख हिमालय तेरी बाट जोहता
उस पार तेरी एक नई दुनिया बसाएंगे
ये मतलब की दुनिया है प्यारे
बेशीमती तेरी याद को कर तल्ख़
तुझको रोता हुआ तुझे छोड़ जायेंगे
मैने दिल से कहा .........

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10 APR 2019 AT 1:16

बचपन सोच कर बिता,
यौवन कुछ करने की आहट में,
मंजर तल्ख जवानी का तो देखो,
जो बीता रहा........
मंजिल की चाहत में।।
बस मंजिल की चाहत में

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