GIRISH KUMAR TIWARI   (गिरीश तिवारी आज़ाद)
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Joined 2 February 2018


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25 JAN 2022 AT 15:40

जब बुरे हालात घेर लेते हैं
तब
अपने सबसे पहले नजरें फेर लेते हैं

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15 JAN 2022 AT 15:46

मेरे होने से तुम्हें तकलीफ जो थी
अब जो हूं नही तुम खुश तो हो न

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15 JAN 2022 AT 15:44

हम गरीबों को
इश्क करने का हक नही
हम अपना इश्क
अपने दिल मे दफ्न रखते हैं

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12 JAN 2022 AT 21:41

कुछ हमदर्द मिले कुछ मतलबी यार निकले
कुछ अच्छे से अच्छे मिले कुक एकदम बेकार निकले
कुछ हंस की तरह सीधे-सादे मिले
कुछ कौए से होंसियर निकले
कुछ अपनी गर्ज वाले निकले
कुछ मेरे मदतगार निकले
आधी रात को भी मेरे लिए जागे वो
कुछ ऐसे भी जिगरी यार निकले

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10 JAN 2022 AT 11:07

रोम राम में राम बसें
अंग-अंग मां सीता
सदा दाहिने हनुमत लक्ष्मण
हृदय में भरत,शत्रुघ्न हैं मनप्रीत
🙏🚩 जय श्रीराम🚩 🙏

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9 JAN 2022 AT 9:05

यहां और कुछ दिनों रुकने का
बहाना मिलता
इस जिन्दगी को ऐसा
आशियाना मिलता
यहां चंद दिनों का ही मेहमान है
हर कोई गिरीश
फिर तुम्हे कैसे ताउम्र का
ठिकाना मिलता

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3 JAN 2022 AT 10:58

बाजार की तरह भाव था उसका
आज कुछ और था कल कुछ और था

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2 JAN 2022 AT 22:14

मै खुद अपनी तकदीर का गुनहगार
हूं
बेवफा की तस्वीर को तकदीर समझ बैठा हूँ

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29 DEC 2021 AT 9:41

चाटुकार व्यक्ति कभी किसी के सगे नही हो सकते
सगे व्यक्ति कभी किसी की चाटूकारिता नही करते

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27 DEC 2021 AT 10:51

मेरी गजल मे तुम्हारा जिक्र कई बार है
मुझसे ज्यादा मेरी कलम को तुमसे प्यार है

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