Girindra Singh  
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Joined 9 February 2023


Joined 9 February 2023
19 AUG 2024 AT 9:32

शहर बनारसी है ये , जहर बनारसी है ये
आप आए हैं जहां , कहर बनारसी है ये

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27 JUL 2024 AT 20:42

फैली हुई आंखें थामे हैं कोई समुंदर
रोका है शायद उसने सोचके कुछ अंदर
क्या कहे और किसी से कहे कहानी
थम गया है वक्त हो गई है कुछ नादानी ।

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14 MAY 2024 AT 8:32

ये हमारी तोंद कमबख्त हमारी आशिकी जैसी है ,
एक बार हो जाए बस , फिर छूटती ही नहीं कभी ।

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8 APR 2024 AT 18:52

नए नए किसी शौक में वो शायर हुए हैं,
शायद किसी की इबादत की खातिर हुए हैं,
शौकीनियत तो मशहूर थी उनकी जमाने में,
अब वो शायरी से कहर बरपाने के लायक हुए हैं।

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7 APR 2024 AT 8:00

Technology is just a medium of human development

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1 APR 2024 AT 6:34

It was a powerful dutiful world
Now its time for a beautiful world.

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1 APR 2024 AT 6:09

01.04.2024

हमारे लेवल पर आके देखो, यहाँ कुछ और अहसास हैं ,
कोशिश तो करो आने की, यहाँ कई और आग़ाज़ हैं ।

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31 MAR 2024 AT 8:17

रचनाकार अगर हैं तो अपनी कलम उठाइए,
कविता लिखिए ऐसी, कोई भविष्य लिख जाइए।

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30 MAR 2024 AT 7:40

ख्वाब वो नहीं जो ख्याल रह जाए ,
ख्वाब वो है जो मिजाज बन जाए ।

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29 MAR 2024 AT 8:48

29.03.2024 / वाराणसी

क्या थी फिदियत या,
कौन था वो फिदायी,
कैसे हुई मुस्लियत,
या कैसे हुई बेवफाई,
कुछ भी हो लेकिन,
जोखिम के खेल में,
रह गए वो एक गुलाम ।

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