शहर बनारसी है ये , जहर बनारसी है ये
आप आए हैं जहां , कहर बनारसी है ये-
फैली हुई आंखें थामे हैं कोई समुंदर
रोका है शायद उसने सोचके कुछ अंदर
क्या कहे और किसी से कहे कहानी
थम गया है वक्त हो गई है कुछ नादानी ।-
ये हमारी तोंद कमबख्त हमारी आशिकी जैसी है ,
एक बार हो जाए बस , फिर छूटती ही नहीं कभी ।-
नए नए किसी शौक में वो शायर हुए हैं,
शायद किसी की इबादत की खातिर हुए हैं,
शौकीनियत तो मशहूर थी उनकी जमाने में,
अब वो शायरी से कहर बरपाने के लायक हुए हैं।
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It was a powerful dutiful world
Now its time for a beautiful world.-
01.04.2024
हमारे लेवल पर आके देखो, यहाँ कुछ और अहसास हैं ,
कोशिश तो करो आने की, यहाँ कई और आग़ाज़ हैं ।-
रचनाकार अगर हैं तो अपनी कलम उठाइए,
कविता लिखिए ऐसी, कोई भविष्य लिख जाइए।-
29.03.2024 / वाराणसी
क्या थी फिदियत या,
कौन था वो फिदायी,
कैसे हुई मुस्लियत,
या कैसे हुई बेवफाई,
कुछ भी हो लेकिन,
जोखिम के खेल में,
रह गए वो एक गुलाम ।-