तू स्याही है मेरे इश्क की |
मे पन्ना हु ,
खुद की डायरी का !!
जिंदगी भी ऐसी ही है शायर की|
की मैने कितनी बार,
खुद को ही फाडके !
खुद को ही तेरे रंग मे ,
लिखा है दोबारा !!-
..Write...Act_sometimes...
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-@gk... read more
भास्करा , तू अस का करतोस ?
प्रकाश दर्पण आडवे आणून तू मला दिसत नाहीस.
हे भास्करा , सकाळ संध्याकाळचा गोड मिठीशिवाय
तू या डोळ्यात वसत नाहीस ....
इतके रूद्र तुझे रूप सांजवेळी का नम्र होतोस
सांग भास्करा, प्रातःरुपी कोमल बनून का बर राहतोस
मध्यान्हला डोक्यावर जितका नाचतोस सांग बर त्या
दुपारीला इतकं उपर बनवून का बर छळतोस ?
सांग भास्करा, तू अस का करतोस ?-
Koi khabar nahi
Kis kis vaasto se tumhe baandh liya hai
Samajh nahi aata q
Har marj ki dawa tere paas hai
Pata nahi kaise
Mere har sawaal ka ulta jawaab tere paas hai ?-
कितनी सारी नसीहते सबको दे राखी है ।
अब हर एक से वापस ले ले कर ,
मेरे दिल की कश्ति भर गई है ।।
अब समंदर भी मुझे हटा नहीं सकता,
पर क्या करू ए दोस्त,
इतने भारी दिल के साथ
में अपनी कश्ति आगे चला भी नहीं सकता ।।-
पोचली वारी चंद्रभागेच्या वाळवंटी,
बुडूनी कीर्तनात वारकरी,
पोचता विठू चरणी
तृप्त होती पंढरी.||
अखंड प्रवासी डोईवर तुळशीमाई
सोबती टाळ मृदुंगाची जोडी .
पोचता विठू चरणी
तृप्त होती पंढरी ||
भक्ता परी देवाला ओढ मोठी
सेवा देण्यास स्वतः देव सुद्धा येई
ऐसी परंपरा ती वारकरी
म्हणूनच पोचता विठू चरणी
तृप्त होती पंढरी||
||आषाढी एकादशी च्या हार्दिक शुभेच्छा ||-
श्याम की उदासी है जो दिल को बुझाए जा रही है
दिन की चिंगारी अब मिटने को है।
कुछ अंधेरा हो भी गया तो क्या हुआ
कल के सवेरे का जुनून अभी बाकी है।।— % &-
खूप काही माझ्या मनी
सखे तुझ्या येणार ना ध्यानी ,
डोळे भिजलेले करतात वेडे
की वेड्या करत आहेत मला या पावसाच्या सरी .......-
हु घमंडी उस जहां का में,
जहा बोलने के लिए मुझे
कागज की जरूरत पड़ती है।
हू घमंडी उस जहां का में,
जहा दिल खोलने के लिए
दोस्तो की जरूरत पड़ती है।
हू अनजान इस बात से में ,
इस कलम के बाहर भी एक
दुनिया है।
हू अनजान इस बात से में,
की इस दुनिया में कोई
हमसे भी प्यारा है।
हु घमंडी उस जहां का में .......-