गिरीश चंद्र सनवाल   (गिरीश सनवाल (गिरी))
109 Followers · 40 Following

read more
Joined 9 September 2018


read more
Joined 9 September 2018

हम किसे पसंद और हमें कौन पसंद
बीत गयी जिंदगी इसी कशमकश में

-



भीड़ मुझे भाती नहीं,तड़पाये एकांत।
मर्म समझ पाऊँ अगर,तब होगा मन शान्त॥

-



देख कृष्ण की बाँसुरी, मन में उठा विचार।
जिसके मन में छेद हैं,हरि को उससे प्यार ॥

-



गाँव की याद ❤

निर्मल जल जीवन सरल , माँ आँचल सी छाँव।
दूर पहाड़ों में बसा , मेरा प्यारा गाँव ।
मेरा प्यारा गाँव , हवा चलती पुरवाई ।
रिश्तों की सौगात , वहीं से हमने पाई ।
करे गिरी अब याद,गाँव को हर दिन हर पल।
बड़ी गुनगुनी धूप , नदी का वह निर्मल जल।

-



निज अंतस सुख हेतु ही,तुलसी लिखा ग्रंथ।
अपनी सबकी लेखनी,अपने-अपने पंथ॥

-



जैसे मिलावट के आदी हो जाने पर खालिश चीजें हजम नहीं होती ठीक
वैसे ही निःस्वार्थ संबंध आजकल किसी को हजम नहीं होते 🙏

-



जैसा इंसान स्वयं होता है
वैसे ही उसे सब नजर आते हैं👍


कड़वा लगे पर सच यही है 🙏

-



मन का खेला चल रहा, चलती भागमभाग।
भाग-भाग कर भाग का,मिले न तिल भर भाग॥

-



बात कड़वी है मगर है सच
कुछ बचेगा नहीं ...

सब टूट जाएगा
सब छूट जाएगा।

-



बनाता हूँ नियम ख़ुद ही, मैं ख़ुद ही तोड़ देता हूँ।
जिधर जाना लगे आसां, वो राहें मोड़ देता हूँ।
मैं इस दुनिया की चालों से बहुत अच्छे से हूँ वाकिफ़-
दिखावा भर जहाँ लगता , वो गलियाँ छोड़ देता हूँ।

-


Fetching गिरीश चंद्र सनवाल Quotes