सफर तन्हां है मेरी खामोश जिंदगी का
अब खफा और वफ़ा से मेरा कोई रिश्ता ना रहा-
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शायरी मेरा शौक, ... read more
ये कलम ये स्याही ये भीगे पन्नों के रोजनामे
लिखता रहता हूं हर रोज बस तुम्हारे ही अफसाने,
वो अधूरा इश्क वो रिश्ते वो गलतफहमियां
कभी सफर में कभी तन्हाई में कभी तकियों के सिधाने,-
मंजिल की तलाश में अपनों से दूर हो गए
जो ख्वाहिशें दिल में दबी थी सब चूर हो गए-
ढूंढोगे हमे और तुम हमे तलाश ना कर सकोगे
हमे याद करोगे लेकिन हमसे बात ना कर सकोगे
दुख तो होगा बहोत अपने आप को तुम कोसोगे
चाहोगे मिलना मगर तुम मुलाकात ना कर सकोगे-
रुखसती ले ली हमने अपने ही आशियानो से,
इस दिल को जरूरत नहीं अपनों से बेगानो से,-
होकर खफा हमसे वो अपनी गलतियों पर पछता रहे होंगे,
दिल में चाहे जितनी भी नफरत हो, हम उसे याद तो आ रहे होंगे,-
खुला आसमान हो और सितारे भी साथ हो
तेज हवा हो और धीमी धीमी बरसात हो
जिंदगी जन्नत सी लगने लगेगी अगर तुम
और हम हो और ये सुहानी रात हो,-
वो अपने लबों पर खामोशी इख्तियार करने लगे हैं
उलझ कर वो अपनी ही परछाइयों से लड़ने लगे हैं
वो लिखकर दर्द भरे अफसाने अपनी डायरी में
हमे याद करके नम आंखों से तन्हाई में पढ़ने लगे हैं-
मजलूम भी हम है और इल्ज़ाम भी
हमी पर लगाया जाएगा,
सांप्रदायिक नारे लगाकर हमारी गलियों में
हमे उकसाया जाएगा,
हम अपनी हिफाज़त भी करेंगे तो हमे
मीडिया में पत्थरबाज और दंगाई दिखाया जाएगा,
खुद दंगे कराके हमे उस दंगों में
बेवजह फसाया जाएगा,
अपने ज़ुल्म के खिलाफ जब आवाज उठाएंगे
तो हमारा ही गला दबाया जाएगा,
झूठी एफ,आई,आर, और एन,एस,ए, लगाकर
हमे जेलों में वर्षों सड़ाया जाएगा,
वकील भी उनका जज भी उनका कानून भी उनका
किस्से इंसाफ की उम्मीद लगाया जाएगा,
हम जब तक खामोश है अपने जुल्मों सितम पर
याद रखना हमे और डराया जाएगा,
अभी भी वक्त है ये फिरका परस्ती से बाहर निकलो,
वरना अगला नंबर तुम्हारा भी आएगा,
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دعا کیا صبر کیا انتظار کیا یا رب
میرے دل کا حال بس تو ہی جانتا ہے
لوٹا دے میری محبّت یا خدا
یہ بندہ بس تجھسے ہی مانگتا ہے۔-