नतीज़ों की न देखेंगे बिछाकर पलकें अबके राहउन्हें मालूम है अबके गई है भैंस पानी मेंबस इस कारण ज़माने में सुनो झूठों की चाँदी हैकमी हर दफ़्अ रह जाती है अपनी सच बयानी में -
नतीज़ों की न देखेंगे बिछाकर पलकें अबके राहउन्हें मालूम है अबके गई है भैंस पानी मेंबस इस कारण ज़माने में सुनो झूठों की चाँदी हैकमी हर दफ़्अ रह जाती है अपनी सच बयानी में
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पढ़े-लिक्खे भी लग जाएँ अगर खेती-किसानी मेंबुलाएँगे किसे वो रैलियों में राजधानी में!निकल आओ सलीके-से,निकलना ही मुनासिब हैबिना क़िरदार यूँ कब तक रहोगे तुम कहानी में! -
पढ़े-लिक्खे भी लग जाएँ अगर खेती-किसानी मेंबुलाएँगे किसे वो रैलियों में राजधानी में!निकल आओ सलीके-से,निकलना ही मुनासिब हैबिना क़िरदार यूँ कब तक रहोगे तुम कहानी में!
रीति रघुकुल की निभाएँगे हर इक बार सुनो―छोड़कर राजमहल राम निकल जाएँगेआप क़िरदार अगर अपना बदल लेंगे तोहम कहानी से सर-ए-आम निकल जाएँगे -
रीति रघुकुल की निभाएँगे हर इक बार सुनो―छोड़कर राजमहल राम निकल जाएँगेआप क़िरदार अगर अपना बदल लेंगे तोहम कहानी से सर-ए-आम निकल जाएँगे
जिसकी इस संसार में, जमी हुई थी धाकतुमने उस लंकेश की, लंका कर दी ख़ाकतुम-सा नटखट कौन है,कौन है तुम-सा संत?कौन बली तुम-सा कहो, राम भक्त हनुमंत?हो शिव के स्वरूप तुम्हीं ,तुम्हीं गुणों के धामजिनके उर-पुर तुम बसे, उनको मिलते राम -
जिसकी इस संसार में, जमी हुई थी धाकतुमने उस लंकेश की, लंका कर दी ख़ाकतुम-सा नटखट कौन है,कौन है तुम-सा संत?कौन बली तुम-सा कहो, राम भक्त हनुमंत?हो शिव के स्वरूप तुम्हीं ,तुम्हीं गुणों के धामजिनके उर-पुर तुम बसे, उनको मिलते राम
घाव देना सीख आए हो, त'अज्जुब है यहीचाहते थे हम कि तुम मरहम लगाना सीख लो -
घाव देना सीख आए हो, त'अज्जुब है यहीचाहते थे हम कि तुम मरहम लगाना सीख लो
कहीं पर ख़त्म हो जाए कहानी वो नहीं होतीकहानी चलती रहती है कहानी-दर-कहानी यार! -
कहीं पर ख़त्म हो जाए कहानी वो नहीं होतीकहानी चलती रहती है कहानी-दर-कहानी यार!
पूर्ण यत्न मिल कीजिए, भू का बेड़ा ग़र्कऊपर केवल स्वर्ग हो, नीचे आए नर्क -
पूर्ण यत्न मिल कीजिए, भू का बेड़ा ग़र्कऊपर केवल स्वर्ग हो, नीचे आए नर्क
फ़लक पर रह नहीं पाते सितारे टूट जाते हैंनज़र ग़ैरों को आएँ तो इशारे टूट जाते हैंसहारा ढूँढ़ लेते हैं यहॉं टूटे हुए कुछ लोगमगर वे क्या करें जिनके सहारे टूट जाते हैं -
फ़लक पर रह नहीं पाते सितारे टूट जाते हैंनज़र ग़ैरों को आएँ तो इशारे टूट जाते हैंसहारा ढूँढ़ लेते हैं यहॉं टूटे हुए कुछ लोगमगर वे क्या करें जिनके सहारे टूट जाते हैं
मर्यादाओं पर प्रश्न कई हैं प्रश्नों के हल दे दो रामतज दूँ अपने सारे कलुष मैं, इतना तो बल दे दो राम -
मर्यादाओं पर प्रश्न कई हैं प्रश्नों के हल दे दो रामतज दूँ अपने सारे कलुष मैं, इतना तो बल दे दो राम
हाँ में हाँ जो नहीं मिलाते हैंवो तरक़्क़ी ग़मों में पाते हैंदोस्त कितने थे मेरे पूछते होज़ख़्म मुझसे गिने न जाते हैं -
हाँ में हाँ जो नहीं मिलाते हैंवो तरक़्क़ी ग़मों में पाते हैंदोस्त कितने थे मेरे पूछते होज़ख़्म मुझसे गिने न जाते हैं