हर किसी के कहने पर चलने लगते हो
हर मोड़ पर रास्ता बदलने लगते हो
खुद ही गिर कर खुद से ही संभलने लगते हो
तुम मुझको मेरे ही जैसे कोई खानाबदोश लगते हो।-
Ghazia Nawaz
(Ghazia Nawaz)
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"अश्क़ अब खामोश से लगने से लगे है मुझे
जब से मैंने लफ्ज़ो को चीख़ते हुए देखा है"
Love to explo... read more
जब से मैंने लफ्ज़ो को चीख़ते हुए देखा है"
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Joined 27 July 2017
21 SEP 2021 AT 0:27
11 SEP 2021 AT 0:41
कि फिर से वही रात हो
चांद, सितारे और अकेलापन साथ हो
कि चांदनी भी बेबाक हो
कि ख़ामोशी में भी कोई बात हो
कि फिर से पहले जैसी वही रात हो...-
24 AUG 2021 AT 19:34
ख़त्म ऐ दुनिया से
पहले की एक ऐसी भी अलामत होगी
ऐ खुदा कहाँ खबर थी कि
क़यामत से पहले भी एक क़यामत होगी।
ग़ाज़िया नवाज़-
23 AUG 2021 AT 22:49
दिन के उजालों में जाने किस से डर रहें है हम
खुद को ख़बर नही कि खुद ही से लड़ रहे है हम|-
5 APR 2021 AT 0:07
वो उजली किरण
मैं चांदनी
वो घटा ही नहीं
मैं बढ़ी ही नहीं
वो अंधेरी शाम
मैं रौशनी
वो हर जगह
मैं कहीं भी नहीं-
5 APR 2021 AT 0:06
वो उजली किरण
मैं चांदनी
वो घटा ही नहीं
मैं बढ़ी ही नहीं
वो अंधेरी शाम
मैं रौशनी
वो हर जगह
मैं कहीं भी नहीं-
14 MAR 2021 AT 18:13
तुम ढूंढोगे मुझे शहर के शोर-शराबे में
मैं मिलूंगी तुम्हे किसी खामोश सी गली में।-