Ghanshyam Upadhyay   (घनश्याम)
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सरल और साधारण विचार, सच के काफ़ी क़रीब-झूठ से बहुत दूर!
Joined 17 February 2017


सरल और साधारण विचार, सच के काफ़ी क़रीब-झूठ से बहुत दूर!
Joined 17 February 2017
8 MAY 2017 AT 21:51

माँ की क़ैद में हैं सारे भगवान,
मुझे जब भी बुरी नज़र लगी पल्लू के कोने से झाड़ दी
©कहानीकार


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21 JAN 2020 AT 21:54

आग से मिलना और राख हो जाना
कितना सरल है तुम से आप हो जाना

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6 JAN 2020 AT 20:46

शिक्षा के मंदिर में दंगे,
ऐसा भारत कब सोचा?
कुर्सी वाले हो गए नंगे,
ऐसा भारत कब सोचा?
शीशे तोड़े, सर भी फोड़े
सब कुछ चकनाचूर किया
इसके बाद में हर-हर गंगे
ऐसा भारत कब सोचा?

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29 NOV 2019 AT 2:59

जिम्मेदारियाँ सारी मैं उठा लेता हँसकर
पापा आपके जाने से सर की छत चली गई

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3 OCT 2019 AT 22:11

लगाओ निशाना, रहे ध्यान इतना
तरकश हमारा भी ख़ाली नहीं है...

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19 APR 2019 AT 15:26

चुपचाप से मेरा सारा आसमान छीन लिया,
जमीं कर दी भारी, हर अरमान छीन लिया,
किससे अब क्या कहूँ, सबके अपने नज़रिए हैं,
पापा को छीनकर तूने पूरा ख़ानदान छीन लिया।

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19 APR 2019 AT 15:08

दरवाज़े की तरह करता हूँ इंतज़ार,
कोई दस्तक देता है, तभी बोलता हूँ मैं!

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30 MAR 2019 AT 14:02

मोहब्बत जुदाई का पल लाने को है
ऐ ख़ुदा देख, कोई तो जाने को है

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7 FEB 2019 AT 20:58

तिरे हर हर्फ़ को खुदा का फ़रमान माना,
दिल ने कुछ ना कहा बस तुझे अरमान माना,
तिरे वास्ते होगा मज़ाक़ तो मैं क्या करूँ,
मैंने तो तेरे कहे को ही गीता औ कुरआन माना!

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7 FEB 2019 AT 20:46

हुई हो ख़ता कोई तो माफ़ कर देना,
हो जो ज़िंदगी ख़फ़ा तो माफ़ कर देना,
बनने लगे बोझ तो उतार देना आँखों से,
हुआ जो बेवफ़ा कोई तो माफ़ कर देना!
-घनश्याम

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