Geetika Bramhbhatt   (Geetika)
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Free-spirited Wanderer,
Independent Soul.
Joined 5 February 2020


Free-spirited Wanderer,
Independent Soul.
Joined 5 February 2020
26 DEC 2021 AT 21:15

क्यों नदिया सी धार तुझमें,
अल्हड़ तेरी जवानी है,
लहरों में उछाल है जितना,
उतनी गहरी कहानी है।
असिमित वेग प्रवाह में,
भूली भीसरी बहानी है,
नए रंग में नए रूप में,
बदलना उसकी कहानी है।

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13 DEC 2021 AT 0:01

वक्त का चक्र चलता है,
हर एक शख्स बदलता है।
बात नहीं कोई ऐब की ये,
हर कोई वक्त के सांचे में ढलता है।

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25 OCT 2021 AT 10:23

हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता,
किसी को अपने हिस्से की ज़मीन,
तो किसी को आसमां नहीं मिलता।

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21 OCT 2021 AT 19:36

खलिश है दिल में कि कुछ बाकी रह गया है,
छूटते ही चाहत की डोर मन बैरागी हो गया है।
ख्वाहिशों से चुनके ज़रूरतें मिटायी हैं,
कश्मकश से जूझकर कश्ती सजायी है।
ज़िंदगी की जंग में मुसकुराहट की तलाश है,
घोर अंधेरे से फिर सूरज निकलने की आस है।

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6 SEP 2021 AT 0:03

यूं तो सभी के किस्से आम हो जाते हैं,
लेकिन जो लहरों से लड़कर कर ले नौका पार,
वो लोग बड़े ख़ास हो जाते हैं।

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30 AUG 2021 AT 12:05

अपने सपनों की डोर, अपने कहानी का एक छोर,
हम तुम्हें सौंपते हैं।
अपनी खुशियों का हिस्सा, अपनी यादोंभरा किस्सा,
अपनी हर छोटी बड़ी भूल, अपनी ज़िंदगी का ये फूल,
हम तुम्हें सौंपते हैं।
मेरी शुरु से आखिरी कहानी तुम,
मेरी मुहब्बत की आखिरी ज़बानी तुम,
इस खूबसूरत सफ़र की बागडोर, तुम्हें सौंपते हैं,
अपने ख्वाबों का आशियां, हम तुम्हें सौंपते हैं।


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30 AUG 2021 AT 11:17

रात सजी सितारों के आंचल में,
दिए जलाए उम्मीदों का,
हौसलों की उड़ान कायम रखना,
क्योंकि अंबार लगा है खुशियों का।
ढलती शाम की रौशनी बिखरी,
रंग बिखरा रहे सपनों का,
संघर्ष से रिश्ता जोड़े रखना,
क्योंकि अंबार लगा है खुशियों का।

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20 AUG 2021 AT 0:02

जब तक खिला हो फूल जज़्बातों का,
तब तक इश्क महकता रहता है।
जब तक हो ज़िंदगी में प्यास चाहत की,
आंखों में इज्ज़त और मन में चाह इबादत की
तब तक समझो इश्क महकता रहता है।

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19 AUG 2021 AT 23:46

Our own desires and motive shatter.
When other's perspective doesn't matter.
And when the trust and unconditional support enter.

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19 AUG 2021 AT 23:37

हमें अपने हिसाब से जो पढ़ना भूल गए
शायद हम उसकी किताब से।
ज़िंदगी समझा रही है क़ीमत अपनी
हर एक छूटती सांस में,
जिसकी क़ीमत भूल गए हम
ज़माने की बदहवास में।

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