क्यों नदिया सी धार तुझमें, अल्हड़ तेरी जवानी है, लहरों में उछाल है जितना, उतनी गहरी कहानी है। असिमित वेग प्रवाह में, भूली भीसरी बहानी है, नए रंग में नए रूप में, बदलना उसकी कहानी है।
खलिश है दिल में कि कुछ बाकी रह गया है, छूटते ही चाहत की डोर मन बैरागी हो गया है। ख्वाहिशों से चुनके ज़रूरतें मिटायी हैं, कश्मकश से जूझकर कश्ती सजायी है। ज़िंदगी की जंग में मुसकुराहट की तलाश है, घोर अंधेरे से फिर सूरज निकलने की आस है।
अपने सपनों की डोर, अपने कहानी का एक छोर, हम तुम्हें सौंपते हैं। अपनी खुशियों का हिस्सा, अपनी यादोंभरा किस्सा, अपनी हर छोटी बड़ी भूल, अपनी ज़िंदगी का ये फूल, हम तुम्हें सौंपते हैं। मेरी शुरु से आखिरी कहानी तुम, मेरी मुहब्बत की आखिरी ज़बानी तुम, इस खूबसूरत सफ़र की बागडोर, तुम्हें सौंपते हैं, अपने ख्वाबों का आशियां, हम तुम्हें सौंपते हैं।
रात सजी सितारों के आंचल में, दिए जलाए उम्मीदों का, हौसलों की उड़ान कायम रखना, क्योंकि अंबार लगा है खुशियों का। ढलती शाम की रौशनी बिखरी, रंग बिखरा रहे सपनों का, संघर्ष से रिश्ता जोड़े रखना, क्योंकि अंबार लगा है खुशियों का।
जब तक खिला हो फूल जज़्बातों का, तब तक इश्क महकता रहता है। जब तक हो ज़िंदगी में प्यास चाहत की, आंखों में इज्ज़त और मन में चाह इबादत की तब तक समझो इश्क महकता रहता है।
हमें अपने हिसाब से जो पढ़ना भूल गए शायद हम उसकी किताब से। ज़िंदगी समझा रही है क़ीमत अपनी हर एक छूटती सांस में, जिसकी क़ीमत भूल गए हम ज़माने की बदहवास में।