हमनें जिन पर अहसासों की कई कथाएँ लिख डाली,
अनुभावों की नर्म धरा पर नवल प्रथाएँ लिख डाली।
स्वार्थ सिद्धि के मोह जाल से बांध रहे थे,अब जाना
बिन कारण जिनकी खातिर खुद लाख व्यथाएँ लिख डाली।
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हवा जैसा मन का अहसास हूँ..
मै कोई लेखिका नहीं बस
कागज से द... read more
अजीब सी होती है ये कैफ़ियत-ए-मरासिम...
कोई हक़ नहीं है फिर भी
परेशां बहुत है.....
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छाई नयी उमंग मुबारक,
अपनों का हो संग मुबारक,
खुशियों भरे हो अबीर गुलाल
होली के सब रंग मुबारक।-
अभी मत छोड़ कर जाओ,बड़ी मुश्किल ये दूरी है,
खिला है चन्द्र रजनी की, हुई ना आस पूरी है,
अभी अधरों से अधरों का रहा है शेष आराधन,
अमिय रसपान नैनों का ,अभी करना जरूरी है।-
ये जो दिल की बेचैनी है झुँझला रही है बारहा....
तू उसे पढ़ नहीं पाता मैं तुझे कह नहीं पाती।
कि या तो तुम मेरे हो जाओ या मुझे अपना बना लो।
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लगती पड़ोसनें है इन्हें बड़ी सीधी साधी,
मुझको बताते हैं कि बड़ी नखरीली हूँ।
फूलों जैसी कोमल सहेली मेरी दिखती है,
मुझको झिड़क देते कील सी नुकीली हूँ।
बात मेरी मानते न अपनी चलाते किन्तु,
सबसे जताते मैं तो बड़ी ही हठीली हूँ।
मैंने भी बता दिया कि अब तो सुधर जाओ
सब स्वाहा कर दूंगी माचिस के तीली हूँ।
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रोकना चाहते थे जिन्हें राह में।
वो बसे थे किसी और की चाह में।
प्यार के नाम पर छल रहे थे मुझे
नाम उनका लिखा हर खुशी आह में,-
शाख शाख हर्षित मुदित,कुसुमित कलियाँ देख ।
प्रकृति धरा पर खींचती,रंग भरे आलेख।।-
प्रेम दीप जलते रहे,जीवन में हो हर्ष।
मग के काँटे दूर हो,मिले सदा उत्कर्ष।
ईश्वर से है प्रार्थना,है मेरी शुभकामना
स्वप्न सभी साकार हो, सुखद रहे नववर्ष।-
🙏🙏तांटक छंद🙏🙏
जीवन की प्रतिकूल दशाएँ ,कठिन परीक्षा होती हैं।
संयम से जो लड़ता इनसे,विजय -बीज नित बोती हैं।
चढ़ते भेंट स्वप्न कितने पर,जो न कभी घबराता है।
हार स्वयं करती है प्रशंसा ,जिसे जीतना आता है।-