Gayatri Zawar  
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Joined 26 December 2017


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Joined 26 December 2017
28 DEC 2024 AT 23:53

Pyaar ek बेहिसबियत he
Iska balance-sheet kabhi tally nahi hota
Pyaar ek हसरत he
Jisme kabhi kabhi logical sense bhi nahi banta
Pyaar ek नज़ाकत he
Sabke bas ki baat kaha
Pyaar ek इबादत he
Sab ko thodi na milta khuda

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28 DEC 2024 AT 23:44

संस्कार के बीज बोकर, हमारे बचपन को पनाह देकर,
चल दिए दादी आप, पीछे एक तस्वीर छोडकर..

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28 NOV 2024 AT 22:42

Wanting to be healed…

Unless you want it to happen, it won’t take place…

How it will happen, you might wonder
But answer to “When” is quite clear…

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28 NOV 2024 AT 22:25

किस्से ही कुछ ऐसे हैं

सोचा बोल दे तो दिल हलका हो जायेगा
पर डर है कहीं बवाल तो ना मच जायेगा

और फिर सोचते सोचते, मन बदल दिया
मौन से रिश्ता फिर क़ायम कर लिया

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20 SEP 2024 AT 13:43

हम जलते रहे बिना आवाज़ किए
पलकोंके आसु को तक टपकने नहीं देते
कि कहीं वो आगाज़ ना कर दें

हशर् देख रहे हो ना

हम तबाह हो रहें है
पर किसी को कानो कान खबर तक नहीं
दफ़्न है ज़िंदा ज़िस्म, हमारी कोई क़बर तक नहीं

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20 SEP 2024 AT 13:38

तुम घिसते हो अपने आप को चंदन सा
पर बादमें कोई उसे माथे पर सजाये तो चलो घिसना भी सही था

पर अगर कोई तुम्हारे त्याग और समर्पण को तुम्हारी मज़बूरी समझले
तो क्या ऐसोंके लिये तुम्हारा बलिदान सही था??

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30 JUL 2024 AT 13:55

हर बात पर टिप्पणी रहती है मेरे पास
बस अब मैंने बोलना छोड़ दिया
argument हारी नहीं थी मैं
तुम समझना ही नहीं चाहते तो मैंने लढ़ना छोड़ दिया
सुनके लिया इसलिए नहीं कि मैं ग़लत तुम थे सही
realise हुवा की तुम मेरे नज़रिये से शायद कभी देखोगे ही नहीं

में जब दस में से नौ चीजे सही करती
सबको बस मेरी एक गलती ही नज़र आती
मेरे लिये कोई जब दस में से दो ही चीजे कर देता
में सोचती चलो ज़्यादा ना सही but इतना तो किया

पर जब हर बार मेरी सिर्फ़ गलती ही गिनायी गई
तो लगा साला ये अच्छा होना ही अच्छा नहीं
कोई सरहाये तो बंदा दुगनी मेहनत करे
हर बात पे नुक़्स निकले तो दिल कुछ करना क्यूँ चाहें
ख़ैर कर्तव्य के नाम पर हम्हे जिम्मेदारी को छोड़ना ना आया
पर फिर हमने अपनी defence में कुछ बोलना छोड़ दिया

जवाब नहीं था, बात ऐसी ना थी
सुनने और समझने की तुम्हारी फ़ितरत ना लगी

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10 JUN 2024 AT 8:51

दुनिया की सारी ख़ुशिया एक और
माँ तेरा मुस्कुराना एक और
और तेरे लिये
दुनिया की सारी ख़ुशिया एक और
मेरा मुस्कुराना एक और

मेरी एक hello पे तू भाँप लेती मेरे दिल का हाल
“क्या हुवा बेटा?” वो तेरा कापता सवाल
“कुछ भी तो नहीं मम्मा, बस तेरी याद आई”
में कह देती छिपाते हुए अपनी तन्हाई
तू पूछती नहीं दोबारा, कुछ और बेतुकी कहानियाँ सुनाती
मेरा दिल बहलाने की हर मुमकिन कोशिश करती
पर मैं ये भी हूँ जानती, तू उस रात सो नहीं पाती
तू तब तक चैन कैसे पाती
जब तक मेरे hello में चहक ना आ जाती

माँ मेरी हर कहा कला मैंने तुझसे पाई
रिश्ता निभाने की खूबी तूने ही सिखलाई
तूने “झुकना” सिखाया, तूने “लढ़ना” सिखाया
“क्या लेना-क्या छोड़ना” सिखाया
तूने “बोलना” सिखाया, तूने “सुनना” सिखाया
“औरोंके साथ साथ अपनी भी आवाज़ को अहमियत देना” सिखाया

तू औरोंके भाँति नहीं - इसलिए में जैसी हूँ वैसी हूँ
माँ
मेरी अच्छाई की जड़ भी तू… मेरे ज़िद की हद भी तू
मेरे सपनो की ताक़द भी तू… मेरे हौसालोंकी बुलंदी तू

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9 JUN 2024 AT 7:02

Leaving the phone at table instead of dragging it to the bed with me….

Guess what, it was that easy…😇

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8 JUN 2024 AT 10:08

गुमराह मत करो ख़ुद को
जो है उसे खुली आँखों से देखो
ना झूठको पोसो, ना झूठी आशाओंको
सच को जल्द से जल्द अपनालो

यारा, गुमराह होकर राह नहीं मिलती
आखें मूँद लेने से क्या मुसीबत है टलती..?
बेशक, छोड़ दो उसे, जो फ़िज़ूल है
पर जहा लढ़ना ज़रूरी है, वहा हार मानना कमजोरी है..

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