आँसू भरी निगाहों में छुपी है,
कुछ अनसुनी सी, आहों ने सुनी होती है,
कहीं तो छलक जाती है,
किसी की फ़रियाद में,
कभी सिसक जाती है,
किसी की याद में,
दर्द की परिभाषा,
कभी सबकुछ मन में दबोच कर,
ख़ामोश हो जाती है,
कहीं कहीं क्रोधाग्नि बन भभक जाती है,
कभी दर्द सब कुछ,
तबाह कर देने वाला तूफान है,
कभी सब छोड़,
सब भूल कर,
आगे बढ़ जानेवाला इम्तेहान है,
कभी किसी ने पढ़ ली,
किसी के चेहरे पर,
कभी किसी ने गढ़ ली,
किसी के चुप रहने पर,
साधारण सी बात है,
पर है गहरी पैठ,
अपनी-अपनी दर्द की परिभाषा सबकी,
जानो उन संग बैठ....!! — % &- Gayatri
5 FEB 2022 AT 1:04