Gayatri Giri   ('Gayatri'✏)
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Joined 6 April 2020


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Joined 6 April 2020
1 APR 2022 AT 23:25

दिवस का अवसान और संध्या का आगमन

निःशोध्य तरभूमि पर तुम्हारी यादों में मेरा मन

सूर्य की लालिमा को निहारती हुई

निश्चल जल पर स्थिर उसके प्रतिबिंब को

अपनी चंचल उंगलियों के सहारे बिखेरती हुई

इस वर्णनातीत नज़ारा का आनंद ले रही हूँ

धीरे ! धीरे ! धीरे !— % &

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31 JUL 2021 AT 1:22

Your smile
Your unstoppable talks
Your heartbeats
And
Your unconditional LOVE......

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31 JUL 2021 AT 1:12

You know the reality of the existence of your love..

When you both never stop doing efforts to be with each other..

When you know you love unconditionally from the bottom of your heart.....

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18 FEB 2021 AT 1:38

चकोर बन जाना है
और फिर वह चाँद को निहारना है
जो हर एक पल चाँदनी पर मरता है

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4 SEP 2020 AT 0:20

इन आँखों में बसे हो तुम
इस दिल में छिपे हो तुम
सिर्फ तुम्हारे बाहों में मिलती सुकून
ओ मेरे इश्क़, मेरे जुनून हो तुम ।
मेरे चाहत हो तुम
मेरे राहत हो तुम
मेरी धडकनों में तुम मोहब्बत की सरज़मीं
सच कहूँ , मेरे ख्वाहिश का आसमान हो तुम ।
कुछ तो बात थी मुझमें
कुछ तुमसे मिलकर बढ़ गयी
तेरी खुमार कुछ यूँ असर किया हमपर
मैं बेपरवाह मोहब्बत के अखाड़े में उतर आयी ।
ये धड़कन भी अजीब है
तुम्हें सोचूँ तो थम सी जाती है
कहाँ से शुरू करूँ तुम्हें कहाँ करूँ खत्म
देखो जब आयी तुम्हारी बारी तो शब्द कम पडती है ।

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7 JUL 2020 AT 4:51

जन्मदिन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं अनुराग जी ।। हमेशा खुश रहें ।। ऐसे ही लिखते रहें और आगे चलकर खूब नाम कमायें ।।

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2 JUL 2020 AT 16:13

इन आँखों में बसे हो तुम
इस दिल में छिपे हो तुम
सिर्फ तुम्हारे बाहों में मिलती सुकून
ओ मेरे इश्क़, मेरे जुनून हो तुम ।
मेरे चाहत हो तुम
मेरे राहत हो तुम
मेरी धडकनों में तुम मोहब्बत की सरज़मीं
सच कहूँ , मेरे ख्वाहिश का आसमान हो तुम ।
कुछ तो बात थी मुझमें
कुछ तुमसे मिलकर बढ़ गयी
तेरी खुमार कुछ यूँ असर किया हमपर
मैं बेपरवाह मोहब्बत के अखाड़े में उतर आयी ।
ये धड़कन भी अजीब है
तुम्हें सोचूँ तो थम सी जाती है
कहाँ से शुरू करूँ तुम्हें कहाँ करूँ खत्म
देखो जब आयी तुम्हारी बारी तो शब्द कम पडती है ।

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10 JUN 2020 AT 0:12

पीछे मुडकर क्या देखना, तू आगे बढ़ता चल
सफलता तेरी चरण चूमेगी आज नहीं तो कल ।।
तू मंजिल अपना भवित कर
किसी भी दुःख से तू कभी न ड़र
तू जनम-जनम के फिर ना मर
जो तुझे भाये तू वही कर
इस पल को मत गवाना, आए ना फिर ये पल
सफलता तेरी चरण चूमेगी आज नहीं तो कल ।।
तू वीर शिवाजी जैसा बन
तू भक्ति करने वाला बन
तू हर बाजी का प्यारा बन
तू हर दीदी का न्यारा बन
बीते बातों को क्या सोचना,आगे बढ़ता चल
सफलता तेरी चरण चूमेगी आज नहीं तो कल ।।

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10 JUN 2020 AT 0:00

खुद को कवि नहीं मानता है
फ़िर भी कविता वह लिखता है
सिर्फ एक पर ही नहीं
हर किसी पर वह लिखता है
बाल, बृद्ध, धनी, गरीब
हर किसीकी छवि आंक देता है
जहाँ मिल जाये उसे प्यार
वहाँ वह खुशी बाँट देता है
कुछ दे नहीं सकता वह किसीको
पर भाई का प्यार वह जरूर देता है
कभी माँगा नहीं खुद के लिए कुछ
पर हर बाजी के लिए दुआ करता है
'शाद' कैसे लिखूँ अब आपको
आपको पढ़कर लिखना सिखती हूँ
आपके इस शुभ जन्मदिन पर
ढ़ेर सारा प्यार आपके नाम करती हूँ

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3 JUN 2020 AT 18:26

फ़िर थे बारिश
फ़िर तुम्हारी याद
फ़िर तुम्हे भूलने की कोशिश
फ़िर वही नाकाम
क्योंकि हर बारिश की बूँदें
और हवा की झोंके में
वही तुम्हारा अक्स
और वही तुम्हारा ज़ाम

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