Gayatree Mangaraj   (श्री राधे!)
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Joined 11 December 2020


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22 NOV 2024 AT 6:18

हमको आगे बढ़ाया
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पल पल तो रुलाया
पर गुरुजी को मिलाया
पाठ साठ सब कुछ शिखाया
गुरुजी के उपदेशों को सुनाया
क्यों रोती,तु जंगल का शेरनी है बताया
उस समय गुरुजी के बातें होंसला बनाया
फिर सभी गुरु गुरुजनों के आशीष आगे बढ़ाया
जब याद सताती सबकी,प्रत्यक्ष से बात किया
कभी ...... डायरी पन्ना पूर्ण किया
उसने ......मन की बात पढ़ लिया
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21 NOV 2024 AT 22:06

चिंतन का प्रभाव मन पर
मन का प्रभाव तन पर
तन,मन का प्रभाव सारे जीवन पर
या तो आगे बढ़ोगे या फिर...
तो क्षण क्षण का सुचिंतन करें और खुश रहें।

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4 NOV 2024 AT 22:15

ମହାପ୍ରଭୁ ଜାଣନ୍ତି ସଭିଙ୍କ ଅନ୍ତର କଥା
ତାଙ୍କଠୁ ଅଧିକ କେ'ବା ବୁଝନ୍ତି ମନର ବ୍ୟଥା ?
ତାଙ୍କ ପାଖେ ରୁହେ ସଭିଙ୍କ ବାହ୍ୟାନ୍ତର ଚିଠା,
ସେ ଚିଠାରେ ଥାଏ ସମସ୍ତ କୁହା ଅକୁହା କଥା
ଏ ଦୁରାଚାରୀ,ଗୁହାରି କରେ ନୁଆଇଁ ମଥା
ହେ ଦଣ୍ଡଧାରୀ! କର ବିଧାନ ଦଣ୍ଡ ଯଥା
ଯଥା ଦୋଷ,ନକରି ରୋଷ ଦେବ ଦୁଃଖ ତଥା
ଆହେ ଚକ୍ରଧାରି!କେବେ ନେବ ଶିରି,କରି କୃପା

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2 NOV 2024 AT 23:40

ସେତେବେଳେ ମନରେ ବିସ୍ଫୋରଣ ହୁଏ
ଶାନ୍ତ ହେବା କଷ୍ଟକର ବ୍ୟାପାର ହୁଏ

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2 OCT 2024 AT 23:02

किसी अस्त्रों से लगा गहरी चोट
भी भर ही जाता है ,
किन्तु शब्दों से लगा गहरी चोट
कभी भरा नहीं जाता है।
मन की गहराई में ठहर हि जाता है।

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21 SEP 2024 AT 19:57

अपना कर्म का पूजारी बनो,,,
थोडा कोशिश और कर
बैठ ना तू हार कर
थोडा इंतजार कर
चित्त को स्थिर कर
विश्वास को दृढ़ कर
बैठ ना तू हार कर
थोडा कोशिश और कर
हार को अपनी शक्ति करो
अपना कर्म का पूजारी बनो ।

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23 AUG 2024 AT 20:21

जिंदगी में सब कुछ ईश्वर के इच्छा से होता है,
और हमारे कर्मफल के अनुसार हि होता है,
या तो कुछ सिखा कर जाता है या कुछ बना कर....

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13 AUG 2024 AT 21:13

की तुझसे दूर हो जाऊं
की तुझे भुल जाऊं
जो तुम करते हो अच्छाई केलिए यह जानूं
दुःख देकर समझाते हो यह समझा करूं
यह संसार मोह माया है यह ज्ञान लेऊं
जो करना है करो पर तुझसे दूर न हो जाऊं

मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है
की कभी तेरे विन जी पाऊं

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13 AUG 2024 AT 20:46

की तुझसे दूर हो जाऊं
की तुझे भुल जाऊं
जो तुम करते हो अच्छाई केलिए यह जानूं
दुःख देकर समझाते हो यह समझा करूं
यह संसार मोह माया है यह ज्ञान लेऊं
जो करना है करो पर तुझसे दूर न हो जाऊं

मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है
की कभी तेरे विन जी पाऊं

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24 JUL 2024 AT 6:52

ତୁମର ସେ ଚକାନୟନ
ଚନ୍ଦନ ଲେପିତ ବଦନ
ଭକ୍ତଙ୍କ ଘନ ଘନ ବନ୍ଦନ
ସେ ଗହଳେ ତୁମ କର୍ପୂର ଅଞ୍ଜନ
ଆହା! ଭକ୍ତମନକୁ କରେ ରଞ୍ଜନ
ମନ‌କର କରେ ଶତ ଶତ ନମନ
ସମସ୍ତ ବନ୍ଧନକୁ କର ତୁମେ ଛିନ୍ନ
ବାନ୍ଧି ରଖେ ତୁମର ସ୍ନେହ ବନ୍ଧନ
ଗରୁଡ଼ଙ୍କ ପଛରୁ କି ଦେବ ଦର୍ଶନ
ମନ ଭରି ଦେଖିବ ଏ ପାପୀ ନୟନ
ସତେ କି କରିବ ସବୁ ପାପ ମୋଚନ
ଆରମ୍ଭ ହୋଇଯାଏ ତୁମ ସହ କଥନ
ଅଶ୍ରୁ ପ୍ଳାବିତ, ଲୋତକ ଯୁକ୍ତ ଏ ନୟନ
କଥା ହୁଏ ତୁମସହ କେବେ ହେବ ପ୍ରସନ୍ନ
ଡାକି କୋଳାଗ୍ରତ କରିବ ତୁମ ବାହୁ ବନ୍ଧନ
ହେ ଚକାନୟନ!! ସତେ କି ଦେବ ଦର୍ଶନ
ଅପେକ୍ଷାରେ ରହିଲା ଏ ହୀନର କୁମନ
ଦେଖିବ ଟିକେ...........ଶ୍ରୀରାଧାରମଣ

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