यूं तो अकेला चलना ही अनोखा लगता था मुझे ,
तेरा साथ मेरी रफ़्तार कम कर गया ,
चल कुछ अनोखा करते हैं ,
तू रुक वही सब्र हो तो मैं मंजिल से होकर आता हूं ! हद यहीं तक थी मेरी !-
जब देखा उसे पास से तो घावों से भरपूर था ओ,
दुआ और दवा थे बे असर ऐसा था ओ अस्वथमा ,
जानें कितने थे श्राप और जानें कितने थे घाव भारी ,
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गज़ब का हुनर रखता हूं मेरे अंदाज़ में ,
कागज़ कि कस्ती ले कै निकला हूं दरिया के तूफ़ान में,-
गर किसी के दिल दुखाये हे,
तो लाखों धोखे खाएं भी तो,
किया गलत हमनें तो ,
सही कहा हो तुम भी तो!-
ये ओसत ज़िंदगी जीने से,
अच्छा होगा कि ,
जिया ही नहीं जाय...!-
2 2 अप्रैल प्रथ्वी दिवस पर महान भविष्यक नें कहा है, कि विश्व में हो रहे अन - बैलेंस को देखते हुये भविष्यवाणी कि हे कि हर साल हर साल से बहत्तर होता जायेगा और बहुत ही जल्दी सब कुछ नष्ट हो जायेगा!!!
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इस संसार में सबसे सुखी वहीं हे,
जो किसी भी प्रकार से ऋणी,
ना हो,,!-
ज्यादा ग़ुस्से में व्यक्ति सच बोलता है,
और ओ सच मुझे बिल्कुल सही लगता है,
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इतनी ज्यादा वफ़ा है,
कि लोग मुझे कुत्ता समझ नें लग जाते हैं!!-