Gautam Nahar   (©Gou'har)
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Joined 18 January 2020


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12 FEB AT 22:47

मैं जिंदगी को खुली किताब
समझकर पढ़ता रहा
और वो कमबख्त हर पन्ने पर
नई पहेली बनकर आती रही।

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12 FEB AT 22:31

फलसफा जिंदगी का,
जेब ने सीखा दिया..
जितना शोर सिक्कों का रहा
उतना सन्नाटा रिश्तों में रहा।

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12 FEB AT 22:26

जूता तो बस बहाना है,
दर्द दिल में छुपाना है,
राहों में मिले थे जो कांटे,
उन्हें भी अपनाना है।

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12 FEB AT 22:13

कुछ अरमान, कुछ ख्वाहिशें,
दबी कुचली, जरूर पडी मिली होगी,
जेब कमीज की मेरी
जब धोने से पहले उसने टटोली होगी।

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12 FEB AT 21:59

कोई कह दे उनको दिल के पास,
कलम को यूँ रखा ना करे.. फिर
लफ्ज नशीले बनकर धड़कते है
और पढ़नेवाले बहक जाते है।

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12 FEB AT 21:41

तुझे क्या पता तेरे इंतजार में कैसे वक़्त मैंने गुजारा है,
ख़ुद को ही खो दिया और खुद को ही मैंने संवारा है,
तेरी हिचकियाँ शायद तुझे बयां करे हाल-ए-दिल मेरा
जाने कितनी दफ़ा दिन में तेरी तस्वीर को मैंने निहारा है।

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6 FEB AT 12:07

जब अजनबी थे तो जान की अहमियत थी,
अब जान बन गए तो जान भी ख़फ़ीफ़ है।

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4 FEB AT 12:01

जरूरत हो तो लौट आना मेरे दोस्त..
तुम खंजर ले आना, मैं बाहें खोल दूँगा।

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4 FEB AT 11:59

बेहद करीब रहो और संभलकर बात की जाएं,
लगता है उन्हें फ़रिश्ते की तलाश है।

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4 FEB AT 11:56

सोचा ना था कुछ ऐसा भी होगा..
वो पलटेंगे नहीं और हम भी पुकारेंगे नहीं।

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