Gautam Nahar   (©Gou'har)
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Joined 18 January 2020


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Joined 18 January 2020
29 APR AT 13:37

चार दिन की ज़िंदगी में किस से क़तरा के चलूं ,
ख़ाक हूं मैं, ख़ाक पर,क्या ख़ाक इतरा के चलूं।

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22 APR 2022 AT 20:55

कई लम्हें बर्बाद हुए हैं
मेरी शायरी आबाद रखने में।

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31 JAN 2022 AT 9:51

बस नाम सुनकर काम हो जाएं,
वो मुकाम हासिल करना हैं मुझे।

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17 OCT 2021 AT 17:58

मेरी शायरी लफ़्जों का समंदर हैं..
कोई बिना सोचे इसकी गहराई में डूब जाता हैं,
कोई किनारों पर बैठकर लहरों का लुत्फ़ उठाता हैं,
कोई सुकून की तलाश में फुरसत से मिलने आता हैं,
कोई भीगने के डर से इससे दूर अपना घर बसाता हैं,
ये मेरा लफ़्जों का समंदर।

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10 OCT 2021 AT 18:10

मिला हैं वो शख़्स हर किसी को बिना मांगे ही..
मैंने इबादत तो की मगर ख़ुदा गलत चुन लिया।

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8 OCT 2021 AT 21:07

कैसे कह दूँ
मुझमें कोई
एहसास नहीं

वो शायर हैं,
अल्फाजों से
छू लेता हैं।

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26 SEP 2021 AT 11:24

खुशियों की दुनियाँ होती हैं बिटियाँ,
अपनों की आह पे रोती हैं बिटियाँ,
रोशन करती हैं सल्तनत उस बादशाह की
जिसके सर का ताज़ होती हैं बिटियाँ।

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13 SEP 2021 AT 21:47

हुस्न तुम बवाल हो,
लिखती तुम कमाल हो,
चाहें पूरी क़ायनात जिसे वो,
लड़की तुम बेमिसाल हो।

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17 AUG 2021 AT 19:19

मुझे बस मेरी शायरी से ना आँकना,
दिल में समंदर लिए घूमता हूँ,
अभी पन्नों पे बस कुछ बूँदें गिरी हैं।

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8 AUG 2021 AT 19:35

वो कहती रहीं मुझसे इश्क़ नहीं..
जिसने अभी मेरे दिए झुमके तक ना उतारें।

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