तेरे बिना ये दिल कहीं लगता नहीं,
इश्क़ में तेरा असर कम होता नहीं।
तेरी हँसी की रौशनी क्या कहें,
सूरज भी ऐसा कभी चमकता नहीं।
तेरे लबों से निकले जो नाम मेरा,
उससे प्यारा कुछ भी लगता नहीं।
तेरे बदन की खुशबू से यूँ उलझे हैं,
जैसे हवा को कोई रास्ता मिलता नहीं।
तू जो मिले तो हर ग़म छूट जाए,
वरना ये दिल किसी से बहलता नहीं।
तेरे खयालों की वो रिमझिम बारिश,
भीग कर भी मन कभी थमता नहीं।-
शरीफ, वफादार लोग पिंजरे में रखे जाते हैं
खुला आसमान तो चालाकों को नसीब होता है।-
लबों पे तेरे जो निशां छोड़ जाए,
इश्क़ मेरा वो असर छोड़ जाए।
तेरी यादों की ताबीर को ओढ़े हुए,
दिल ये अपनी धड़कन छोड़ जाए।
तेरी ख़ुशबू से भीगी हुई रेत पे,
मेरा बदन अपने निशां छोड़ जाए।
तेरी रूह को गले लगाकर रखूं तो,
हर दीवार अपना मकां छोड़ जाए।
जो तेरे बिना कट जाएं कोई भी लम्हा,
वो लम्हा यादों की दुनिया छोड़ जाए।-
इश्क़ होगा तो
एहसास भी होगा।
एहसास होगा तो
समर्पण भी होगा।
समर्पण होगा तो
बात भी होगी।
बात होगी तो
साँसें भी होंगी!-
सारे फूल ख़फ़ा हैं तेरे बग़ीचे में होने से,
फिर तितलियाँ उन्हें नज़रअंदाज़ कर देती हैं।-
आँखों से पता चला फ़ासले कितने हैं वर्ना
लफ़्ज़ों से दिल के क़रीब मान बैठे थे हम।-
तेरी हँसी में बसी है चाँदनी रातों की बात,
तेरी नथ से महके जैसे फूलों की बारात,
चेहरा तेरा जैसे जन्नत का कोई 'ख्वाब' हो,
तुझे देखूँ तो भूल जाऊँ सारी कायनात।-
मैं सुधरने की कोशिश में जुड़ जाता हूँ,
और ये बारिश नयी बात छेड देती है।-