चार दिन की ज़िंदगी में किस से क़तरा के चलूं ,
ख़ाक हूं मैं, ख़ाक पर,क्या ख़ाक इतरा के चलूं।-
मेरी शायरी लफ़्जों का समंदर हैं..
कोई बिना सोचे इसकी गहराई में डूब जाता हैं,
कोई किनारों पर बैठकर लहरों का लुत्फ़ उठाता हैं,
कोई सुकून की तलाश में फुरसत से मिलने आता हैं,
कोई भीगने के डर से इससे दूर अपना घर बसाता हैं,
ये मेरा लफ़्जों का समंदर।-
मिला हैं वो शख़्स हर किसी को बिना मांगे ही..
मैंने इबादत तो की मगर ख़ुदा गलत चुन लिया।-
कैसे कह दूँ
मुझमें कोई
एहसास नहीं
वो शायर हैं,
अल्फाजों से
छू लेता हैं।-
खुशियों की दुनियाँ होती हैं बिटियाँ,
अपनों की आह पे रोती हैं बिटियाँ,
रोशन करती हैं सल्तनत उस बादशाह की
जिसके सर का ताज़ होती हैं बिटियाँ।-
हुस्न तुम बवाल हो,
लिखती तुम कमाल हो,
चाहें पूरी क़ायनात जिसे वो,
लड़की तुम बेमिसाल हो।-
मुझे बस मेरी शायरी से ना आँकना,
दिल में समंदर लिए घूमता हूँ,
अभी पन्नों पे बस कुछ बूँदें गिरी हैं।-
वो कहती रहीं मुझसे इश्क़ नहीं..
जिसने अभी मेरे दिए झुमके तक ना उतारें।-